हैदराबाद में 2007 में हुए दोहरे बम विस्फोट के मामले में आज मेट्रोपॉलिटन कोर्ट ने दो आतंकियों को मौत की सजा सुनाई है. कोर्ट ने इस मामले में एक अन्य आतंकी को उम्रकैद की सजा दी.
हैदराबाद में 25 अगस्त, 2007 को एक रेस्त्रां ‘गोकुल चाट’ और लुम्बिनी पार्क में स्थित एक ओपन एयर थियेटर में दो बम धमाके हुए थे, जिनमें 44 लोग मारे गए थे और 68 घायल हुए थे.
द्वितीय अतिरिक्त मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायालय के न्यायाधीश (प्रभारी) टी श्रीनिवास राव ने चार सितंबर को 11 साल पुराने मामले में अनीक शफीक सैयद और मोहम्मद अकबर इस्माइल चौधरी को दोषी ठहराया था, लेकिन पर्याप्त सबूत ना होने के कारण फारूक शरफुद्दीन तर्कश और मोहम्मद सादिक इसरार अहमद शैक को बरी कर दिया था.
सरकारी अभियोजक के सुरेंद्र ने कहा कि सैयद और चौधरी को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) एवं दूसरी संबंधित धाराओं और आतंकवाद रोधी कानून - गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दोषी पाया गया था. अदालत ने दोनों पर अलग-अलग मामलों में दस-दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.
अदालत ने पांचवें आरोपी तारिक अंजुम को सोमवार को दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा दी. उस पर नई दिल्ली और दूसरी जगहों में कुछ गुनाहगारों को पनाह देने का आरोप था.
पुलिस के आरोपपत्र में नामजद तीन और आतंकी - इंडियन मुजाहिदीन का संस्थापक रियाज भटकल, उसका भाई इकबाल और आमिर रजा खान फरार हैं. माना जा रहा कि कर्नाटक के रहने वाले भटकल भाइयों ने पाकिस्तान में शरण ली हुई है. सुरेंद्र ने फरार आरोपियों को लेकर कहा कि ‘वे जब भी पकड़े जाएंगे, उन पर मुकदमा चलेगा.’
उन्होंने बताया कि अदालत ने विशिष्ट रूप से यह नहीं पाया कि दोषी ठहराए गए आतंकी प्रतिबंधित संगठन इंडियन मुजाहिदीन के सदस्य थे बल्कि यह पाया कि उन्होंने एक समूह का गठन किया और आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया.
आपको बता दें कि लुंबिनी पार्क में एक शख्स अपने साथ बैग में IED लेकर पहुंचा था. चश्मदीदों के मुताबिक, बम फटने के बाद आसपास लाशों के ढेर लग गया. मरनेवालों में से ज्यादातर छात्र थे, जो कि महाराष्ट्र के रहने वाले थे. लुंबिनी पार्क में बम धमाका शाम 7 बजकर 30 मिनट पर हुआ था, इस मामले में पहली गिरफ्तारी जनवरी 2009 को हुई.
राहुल विश्वकर्मा