खालिस्तान समर्थक संगठन पर कार्रवाई, गृह मंत्रालय ने ब्लॉक की 40 वेबसाइट

अलग खालिस्तान की मांग करने वाले एक संगठन पर सरकार ने एक्शन लिया है. SFJ की 40 वेबसाइट को भारत में ब्लॉक कर दिया गया है.

Advertisement
सरकार ने की कड़ी कार्रवाई सरकार ने की कड़ी कार्रवाई

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 9:36 AM IST

  • केंद्रीय गृह मंत्रालय का बड़ा एक्शन
  • प्रतिबंधित संगठन की 40 वेबसाइट ब्लॉक

खालिस्तान का समर्थन करने वाले प्रतिबंधित संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) पर रविवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कठोर कार्रवाई की है. इस संगठन से जुड़ी करीब 40 वेबसाइट को भारत में ब्लॉक कर दिया गया है. इन पर अलगाववाद को बढ़ावा देने और युवाओं को भटकाने जैसे आरोप लगे थे. ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि से इस फैसले को काफी अहम माना जा रहा है.

Advertisement

इस बारे में जानकारी देते हुए गृह मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से ट्वीट भी किया गया. ट्वीट में लिखा गया, ‘गैर कानूनी गतिविधि (निरोधक) अधिनियम (UAPA), 1967 के तहत सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) एक गैरकानूनी संगठन है. उसने अपने उद्देश्य के लिए समर्थकों के पंजीकरण करने के वास्ते एक अभियान शुरू किया था. गृह मंत्रालय की सिफारिश पर इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) ने सूचना प्रौद्योगिकी कानून, 2000 के सेक्शन 69 ए के तहत SFJ की 40 वेबसाइट पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं.'

आपको बता दें कि ये संगठन अमेरिका से ऑपरेट करता है और भारत में इस पर बैन लगाया गया है. संगठन की ओर से कई बार पंजाब में अलग खालिस्तान को लेकर जनमत संग्रह कराने की मांग भी की गई है.

भारत सरकार की ओर से खालिस्तान के दावे को हमेशा खारिज किया गया है, हर बार इसकी मांग करने वाले संगठनों पर ठोस कार्रवाई भी की गई है.

Advertisement

चीन को एक और झटका देने की तैयारी, PM मोदी ने युवाओं को दिया ऐप बनाने का चैलेंज

सुरक्षा के मद्देनजर बैन हुई थी चीनी ऐप

आपको बता दें कि डिजिटली कंटेंट के तौर पर पिछले कुछ दिनों में ये भारत सरकार का दूसरा बड़ा फैसला है. इससे पहले सरकार ने करीब 59 चीनी ऐप को बैन किया था. इनमें बहुचर्चित टिकटॉक भी शामिल थी. इन ऐप को लेकर सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे थे, जिनमें डाटा चोरी जैसी बात भी शामिल थी.

यही कारण रहा कि सरकार ने IT एक्ट के तहत इन ऐप पर बैन लगा दिया. चीन के साथ जारी तनाव को देखते हुए इस फैसले को कड़ा माना गया, जबकि चीन ने भी इस पर आक्रामक प्रतिक्रिया दी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement