कनीमोझी के बाद कुमारस्वामी बोले-साउथ के नेताओं से मौके छीनती है हिंदी पॉलिटिक्स

कर्नाटक के पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी ने सोमवार को कई ट्वीट कर कनिमोझी का समर्थन किया. साथ ही उन्होंने कहा कि हिन्दी पट्टी के नेता दक्षिण भारतीय नेताओं का सम्मान नहीं करते हैं.

Advertisement
कर्नाटक के पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी कर्नाटक के पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 10 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 4:09 PM IST

  • हिन्दी बनाम दक्षिणी भाषा का विवाद गर्माया
  • कनिमोझी के बाद अब कुमारस्वामी ने खोला मोर्चा

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की नेता कनिमोझी के ट्वीट के बाद से ही एक बार फिर दक्षिण भारत में हिन्दी विरोध के सुर तेज हो गए हैं. सोमवार सुबह पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने अपने साथ की घटना साझा की और अब कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने ट्वीट की झड़ी लगाकर बड़े आरोप लगाए हैं. कुमारस्वामी ने कहा कि हिन्दी भाषा राजनीति अक्सर दक्षिण भारतीय नेताओं से मौके छीनती है.

Advertisement

लगातार कई ट्वीट करते हुए एचडी कुमारस्वामी ने लिखा, ‘डीएमके की सांसद से पूछा गया कि क्या आप भारतीय हैं? कनिमोझी के साथ हुए इस अपमान के खिलाफ मैं अपनी आवाज उठाता हूं. ये बहस का विषय है कि किस तरह दक्षिण भारत के नेताओं से हिन्दी भाषा राजनीति ने अवसर छीन लिए हैं. हिन्दी राजनीति ने कई दक्षिण भारतीय नेताओं को प्रधानमंत्री बनने से रोका’.

कुमारस्वामी ने लिखा, ‘एचडी देवगौड़ा, करुणानिधि, कामराज इनमें प्रमुख हैं. हालांकि, देवगौड़ा इस बैरियर को तोड़ने में सफल रहे, लेकिन ऐसे कई मौके आए जब उन्हें भाषा को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ा. तब हिन्दी राजनीति तब सफल भी हो गई थी, जब देवगौड़ा को लालकिले से हिन्दी में भाषण देना पड़ा. पीएम देवगौड़ा सिर्फ इसलिए माने क्योंकि अधिकतर किसान यूपी-बिहार से थे.’

हिंदी में सवाल पूछने पर अब सियासी घमासान, बीजेपी ने कन‍िमोझी पर कसा तंज

Advertisement

पूर्व सीएम ने लिखा, ‘मेरे साथ भी यही अनुभव रहा, मैं दो बार लोकसभा का सदस्य रहा हूं. सत्ताधारी दल दक्षिण भारत के लोगों को इग्नोर करते हैं. मैंने करीब से देखा है कि किस तरह हिन्दी राजनीति अपनी चलाते हैं और नॉन हिन्दी राजनेताओं का सम्मान नहीं करते हैं.’

उन्होंने लिखा कि सिर्फ राजनीति नहीं बल्कि सरकारी, प्राइवेट जॉब के लिए भी लोगों को अंग्रेजी या हिन्दी लिखनी पड़ती है. इस साल भी IBPSmosa में कन्नड़ को कोई जगह नहीं मिली है. कन्नड़ लोगों को मौका नहीं दिया जा रहा है, ये रुकना चाहिए. केंद्र सरकार कहती है कि हिन्दी कई भाषाओं में सिर्फ एक है, लेकिन करोड़ों रुपये देश और विदेश में हिन्दी का प्रचार करने में खर्च करती है. ये एक छुपा हुए कार्यक्रम की तरह है, इससे तभी लड़ा जा सकता है जब आप हर भाषा के प्रति सम्मान रखें.

कनिमोझी के बाद अब चिदंबरम ने सुनाई आपबीती, बोले- हिन्दी वाले अफसर भी सीखें अंग्रेजी

आपको बता दें कि नई शिक्षा नीति आने के बाद से ही हिन्दी भाषा थोपने को लेकर दक्षिण के कई राज्य मोर्चा खोले हुए हैं. इस बीच DMK सांसद कनिमोझी ने ट्वीट कर कहा था कि वो जब एयरपोर्ट पर थीं तो CISF के एक अफसर ने उन्हें हिन्दी में सवाल पूछने को कहा था. जिसपर पलटकर अधिकारी ने तमिल-अंग्रेजी बोलने पर कहा कि क्या आप भारतीय नहीं हैं.

Advertisement

इसी के बाद से ही कई अन्य नेताओं ने भी आवाज बुलंद की है. सभी नेताओं के द्वारा मिले समर्थन के बाद कनिमोझी ने सभी का शुक्रिया किया.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement