नेशनल हेराल्ड केस में राहुल, सोनिया को HC से राहत नहीं, BJP बोली-इसीलिए बुलाया बंद

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी को बड़ा झटका देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने नेशनल हेराल्ड आयकर नोटिस मामले में राहत देने से इनकार कर दिया है.

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी (फाइल फोटो) कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी (फाइल फोटो)

विवेक पाठक / संजय शर्मा / अशोक सिंघल

  • नई दिल्ली,
  • 10 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 7:15 PM IST

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी को आयकर विभाग के नोटिस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया है. जस्टिस एस रवीन्द्र भट्ट और जस्टिस ए के चावला की खंडपीठ ने राहुल गांधी, सोनिया गांधी और ऑस्कर फर्नांडिस की अपील खारिज कर दी है.

हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद राहुल गांधी, सोनिया गांधी और ऑस्कर फर्नांडिस के पास दो रास्ते हैं, या तो हाईकोर्ट के आदेश पर अब ये आयकर विभाग के सामने पेश हों और अपनी दलीलें व तथ्य रखें या फिर दूसरा रास्ता सुप्रीम कोर्ट जाता है जहां दिल्ली हाइकोर्ट के इस आदेश को चुनौती दें.

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वहीं बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस मामले में हाईकोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि यह मोदी सरकार के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की जीत है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा बुलाए गए भारत बंद की असली वजह यही थी. क्योंकि वे जानते थें कि हाईकोर्ट का निर्णय उनके खिलाफ आने वाला है. 

भारत बंद को नेशनल हेराल्ड केस से जोड़ने पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पलटवार करते हुए कहा कि बंद की सफलता से मोदी सरकार घबरा गई है, इसलिए सरकार बदले की भावना से काम कर रही है. सुरजेवाला ने कहा कि सरकार की गीदड़ भभकियों नेशनल हेराल्ड छपना बंद नहीं होगा.

गौरतलब है कि यह मामला 2011-12 का है, जब राहुल गांधी, सोनिया गांधी और ऑस्कर फर्नांडिस ने अपने आयकर रिटर्न फाइल कर दिए थे. लेकिन 2018 में आयकर विभाग द्वारा इस रिटर्न की फाइल की फिर से जांच करने का नोटिस आ गया. विभाग की दलील है कि इन तीनों ने नेशनल हेराल्ड के नवजीवन ट्रस्ट के हाथों टेक ओवर का जिक्र अपने रिटर्न में कहीं नहीं किया कि वो आमद कहां है?

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आयकर विभाग के इसी नोटिस को राहुल गांधी, सोनिया गांधी और ऑस्कर फर्नांडिस की तरफ से चुनौती दी गई थी. इनकी दलील थी कि नवजीवन एक चैरिटेबल ट्रस्ट है, जो नो प्रॉफिट नो लॉस पर आधारित है, लिहाजा आय किस बात की. इसलिए इसका जिक्र करना जरूरी नहीं था. लेकिन आयकर विभाग इस ट्रांजेक्शन को इस नजरिए से नहीं देख रहा.  

तीनों ने ये दलील भी दी कि छह साल तक आयकर विभाग ने कोई सुध नहीं ली और छह साल की अंतिम सीमा पूरी होने से एक दिन पहले नोटिस भेजा. उसमे भी प्रक्रिया संबंधित कई खामियां हैं.

कोर्ट ने साफ कह दिया कि यह दलीलें तो अब आयकर अधिकारियों के सामने ही चलेंगी. बता दें कि नेशनल हेराल्ड मामले का आपराधिक मुकदमा दिल्ली की जिला अदालत पटियाला हाउस कोर्ट में चल रहा है. जिसमें राहुल और सोनिया गांधी जमानत पर हैं.

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