कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच सरकार ने रेमडेसिविर दवा के इस्तेमाल करने को मंजूरी दे दी है. इस दवा का इस्तेमाल कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों के लिए किया जाएगा. इबोला के इलाज में काम आने वाली रेमडेसिवीर एकमात्र ऐसी दवा है जो कोरोना के इलाज में बेहद असरदायी नजर आ रही है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन सॉलिडैरिटी ट्रायल के अंतर्गत जिन चार दवाइयों पर परीक्षण कर रहा है, उसमें यह दवा भी है. इसे बनाने वाली कंपनी गिलिएड ने भारत और पाकिस्तान की पांच जेनरिक दवा निर्माताओं के साथ करार भी किया है.
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बता दें भारत समेत दुनिया के कई देश कोरोना की दवा बनाने में जुटे हैं. माना जा रहा है कि कोरोना की वैक्सीन आने में करीब एक साल लगेंगे. लेकिन शुरुआती परीक्षण के नतीजों में अब तक रेमडेसिवीर ही ऐसी दवा है जिसे कई देशों में कोरोना के इलाज के लिए मंजूरी मिली है. ये दवा COVID-19 के इलाज में कारगर भी मानी जा रही है.
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कोरोना वायरस के कारण होने वाली बीमारी के लिए अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन के जरिए रेमडेसिविर को पिछले महीने अधिकृत किया गया था. अमेरिका के एफडीए ने भी रेमडेसिविर दवा को हरी झंडी दे चुका है.अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी रेमडेसिविर ड्रग ट्रायल को वैक्सीन बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने वाला कदम बता चुके हैं. रेमडेसिविर अमेरिकी की गिलिएड कंपनी द्वारा बनाया गया एक ड्रग है, जो कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में बड़ा हथियार साबित हो सकता है.
अमेरिका भी कोरोना के इलाज में इस दवा की अहमियत बता चुका है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार डॉ. एंथनी फॉसी भी इस दवा की तारीफ कर चुके हैं. इस दवाई की ओर दुनिया उम्मीदों से देख रही है. दरअसल, इस दवा को इबोला को खत्म करने के लिए बनाया गया था. अब यह कोरोना वायरस के मरीजों को ज्यादा जल्दी ठीक कर रही है. अमेरिका के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस दवा की सफलता से कोरोना को हराने के लिए हमें नई उम्मीद मिल गई है.
कमलजीत संधू