आजाद ने PM को लिखी चिट्ठी, पूछा- सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने पीएम को पत्र लिखकर अल्पसंख्यक समुदाय पर बढ़ते कथित हमलों की बात की है, जिनमें झारखंड के लातेहार जिले में दो मवेशी कारोबारियों को मारकर पेड़ से लटकाने की ताजा घटना शामिल है.

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गुलाम नबी आजाद गुलाम नबी आजाद

स्‍वपनल सोनल / BHASHA

  • नई दिल्ली,
  • 20 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 7:10 PM IST

कांग्रेस ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ध्रुवीकरण और विभाजन की सोची-समझी रणनीति अपनाने का आरोप लगाया है. पार्टी ने कहा कि चुनावी फायदों के लिए सांप्रदायिक नफरत और अविश्वास पैदा कर रहे संघ परिवार से जुड़े लोगों पर मोदी सरकार का नियंत्रण नहीं करना संदेह पैदा करता है.

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने पीएम को पत्र लिखकर अल्पसंख्यक समुदाय पर बढ़ते कथित हमलों की बात की है, जिनमें झारखंड के लातेहार जिले में दो मवेशी कारोबारियों को मारकर पेड़ से लटकाने की ताजा घटना शामिल है.

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राज्यसभा में विपक्ष के नेता आजाद ने अपने दो पन्नों के खत में लिखा, 'मैं बहुत निराशा के साथ यह कहने को विवश हूं कि जघन्यता और भीड़ की हिंसा के ऐसे घटनाक्रम दुनिया के उन कुछ हिस्सों की झलक देते हैं जहां लोकतंत्र नहीं है. ये भारत की घटनाएं नहीं दिखाई देती, जहां कानून के शासन से संचालित एक जीवंत और धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र का व्यापक सम्मान होता है.' आजाद ने केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद डराने, धमकाने, भीड़ की हिंसा की घटनाओं में इजाफे की बात कही और इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया.

'प्रभावित हुआ है देश का विकास'
उन्होंने आगे लिखा है, 'लोकतंत्र की बहुसंख्यकवादी राय सावधानीपूर्वक और जानबूझ कर पैदा की जा रही है. लोकतंत्र, बहुलवाद, सामाजिक समरसता और शांति पर गंभीर असर पड़ा है तथा देश का विकास भी प्रभावित हुआ है.' उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी और सिविल सोसायटी सांप्रदायिक नफरत और ध्रुवीकरण के बढ़ते माहौल के प्रति सरकार का ध्यान लगातार खींच रहे हैं.

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भड़काऊ बयान पर लगाम क्यों नहीं
आजाद ने कहा, 'सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्री, सांसद और विधायक, नेता तथा संघ परिवार के संगठन समुदायों के विभाजन और ध्रुवीकरण के लिए लगातार भड़काऊ बयान दे रहे हैं. हैरानी की बात है कि ऐसे तत्वों पर लगाम कसने के लिए सरकार और बीजेपी नेतृत्व की ओर से कोई स्पष्ट प्रयास नहीं दिखाई दे रहा है, जिससे संदेह बढ़ता है कि यह ध्रुवीकरण और विभाजन की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है.'

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