विश्व साइकिल दिवस पर बंद हो गई देश की एक पुरानी साइकिल फैक्ट्री

मजदूरों का कहना है कि इस फैक्ट्री से ही उनकी रोजी-रोटी चलती थी और परिवार का लालन-पालन होता था. अब फैक्ट्री बंद होने से वो कहां जाएं?

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

मिलन शर्मा

  • गाजियाबाद,
  • 04 जून 2020,
  • अपडेटेड 12:12 AM IST

  • साइकिल फैक्ट्री के गेट पर बंद का नोटिस लगने से भड़के मजदूर
  • मजदूरों ने फैक्ट्री बंद होने के खिलाफ शुरू किया विरोध प्रदर्शन

विश्व साइकिल दिवस पर यानी बुधवार को हिंदुस्तान की सबसे पुरानी साइकिल कंपनी एटलस के गाजियाबाद प्लांट पर कंपनी बंद करने का नोटिस लग गया. वहीं, मजदूरों का आरोप है कि यहां हर महीने तकरीबन दो लाख साइकिलों का प्रोडक्शन होता था, तो फिर नोटिस में आर्थिक संकट कहां से आ गया? इस कंपनी के बंद होने से यहां कार्य करने वाले करीब 1000 लोग बेरोजगार हो गए.

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दरअसल, गाजियाबाद के साहिबाबाद इलाके में स्थित इस कंपनी में हरियाणा की मशहूर एटलस साइकिलें बनती थीं. जानकारी के मुताबिक 1989 में यह फैक्ट्री यहां लगी थी. इसमें तकरीबन 1000 मजदूर काम करते हैं.

देश में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने 25 मार्च से लॉकडाउन कर रखा है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी कंपनियों से यह अपील कर चुके हैं कि ऐसे आर्थिक संकट में कोई भी कंपनी मालिक मजदूरों का वेतन न रोके, ताकि काम करने वाले मजदूरों को अपने परिवार चलाने में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े.

मोदी सरकार ने लॉकडाउन 5.0 में कारोबार चलाने की दी इजाजत

पीएम मोदी ने कहा था कि जल्द ही सब कुछ ठीक हो जाएगा. मोदी सरकार ने लॉकडाउन 5.0 के साथ ही कारोबार शुरू करने की इजाजत भी दे दी है, जिसके चलते इसको अनलॉक 1.0 कहा जा रहा है. साथ ही सभी जिलाधिकारी को आदेश दिया गया है कि अब वो अपने यहां उद्योगों को चलाने की अनुमति दे दें.

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फैक्ट्री बंद होने के खिलाफ प्रदर्शन करने एकजुट हुए मजूदर

जब अनलॉक 1.0 हुआ, तो सभी कंपनियों में काम करने वाले मजदूर बेहद खुश नजर आए और हंसी-खुशी अपनी कंपनी में काम करने के लिए पहुंचे, लेकिन गाजियाबाद के साहिबाबाद इलाके में स्थित मशहूर एटलस साइकिल कंपनी में 2 दिन जाने के बाद मजदूरों को जब गेट पर अचानक फैक्ट्री बंद होने का नोटिस लगा मिला, तो उनके होश उड़ गए. इसके बाद ये मजदूर अपनी यूनियन के बैनर तले एकजुट होकर विरोध करने लगे.

दो लाख साइकिलों का हर महीने होता था प्रोडक्शन

मजदूर यूनियन के नेता महेश कुमार ने बताया कि यहां तकरीबन दो लाख साइकिलों का प्रोडक्शन हर महीने होता है, जिससे मैनेजमेंट को काफी लाभ होता था. ऐसे में भला कंपनी पर आर्थिक संकट कहां से आ गया? उन्होंने कहा कि इस कंपनी में करीब 1000 मजदूर कार्य करते आ रहे हैं और अचानक इस तरह से कंपनी बंद होने के बाद सभी बेरोजगार हो चुके हैं.

मजदूर बोले- अब कहां जाएं, कैसे चलेगी रोजी-रोटी

उन्होंने कहा कि जब सब कुछ ठीक चल रहा था, तो फिर आखिर नोटिस में ऐसा क्यों लिखा है कि आर्थिक संकट के चलते इसे बंद किया जा रहा है. इस नोटिस को पढ़कर मजदूरों की भीड़ जमा हो गई. मजदूरों का कहना है कि इस फैक्ट्री से ही उनकी रोजी-रोटी चलती थी और परिवार का लालन-पालन होता था. अब फैक्ट्री बंद होने से वो कहां जाएं?

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मजदूरों का यह भी आरोप है कि पुलिस ने लाठी फटकार कर उनको तितर-बितर कर दिया. मजदूरों का यह भी आरोप है कि मालिक पहले भी अलग-अलग राज्यो में चल रही दो यूनिट बंद कर चुके हैं. हमसे फैक्ट्री प्रबंधन को भी बात करनी चाहिए, लेकिन कोई भी बाहर नहीं आया.

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