चारा घोटाला मामले में लालू ने रांची की CBI कोर्ट में दिया बयान, खुद को बताया बेकसूर

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू यादव ने चारा घोटाले के मामले में आज CBI की  रांची कोर्ट में अपना बयान दिया. करीब एक घंटे तक चली कार्रवाई में 313 के तहत लालू का बयान दर्ज किया गया. इस दौरान लालू से दो दर्जन सवाल किए गए. लालू ने खुद को बेकसूर बताया.

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लालू प्रसाद यादव लालू प्रसाद यादव

धरमबीर सिन्हा / अशोक सिंघल

  • रांची/नई दिल्ली ,
  • 11 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 4:11 PM IST

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू यादव ने चारा घोटाले के मामले में आज CBI की  रांची कोर्ट में अपना बयान दिया. करीब एक घंटे तक चली कार्रवाई में 313 के तहत लालू का बयान दर्ज किया गया. इस दौरान लालू से दो दर्जन सवाल किए गए. लालू ने खुद को बेकसूर बताया.

लालू ने कहा कि इसमें हमारी कोई गलती नहीं. निकासी की एक प्रक्रिया होने की वजह से इसकी तुरंत जानकारी नहीं मिली. सीएजी की रिपोर्ट सीधे गवर्नर को जाती है. उन्होंने बताया था कि फंड की गड़बड़ी उस इलाके में हुई जो अब झारखंड में है. उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच 84 से 86 तक के दौर के लिए कराया जाए. लालू ने कहा कि सीएस से राय मांगी थी और सीएस ने जो कहा वो मैंने किया. सीएस ने कहा था कि इस तरह के मामले में सीबीआई जांच का जिम्मा नहीं लेगी और सुझाव किया था कि सीआईडी से जांच कराएं. इसलिए मैंने विजिलेंस से जांच कराई. इस बयान के दौरान सीबीआई के जज एसएस प्रसाद ने लालू प्रसाद से 25 सवाल पूछे. लालू ने सभी सवालों के जवाब दिए.

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रांची के स्पेशल सीबीआई कोर्ट में चारा घोटाले से सम्बंधित मामले में अपना बयान कराने के दौरान लालू प्रसाद लगातार इस बात को दोहराते रहे कि उनपर राजनीतिक साजिश के तहत उनपर सारे केस किए गए हैं.  कोर्ट के द्वारा पूछे गए सवाल के जबाब में लालू ने कहा कि उन्होंने घोटाले के किंगपिन एस बी सिन्हा से कोई पैसा नहीं लिया है. अगर सीबीआई के पास कोई सबूत है तो वो पेश करे. उन्होंने घोटाले के दूसरे किंगपिन कहे जाने वाले दयानंद कश्यप को पहचानने से भी इंकार किया.

उन्होंने कहा, 'जब मुझे गड़बड़ी की जानकारी मिली तो मैंने तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी कमला प्रसाद से राय मांगी थी. कमला प्रसाद ने कहा कि सीबीआई इस तरह के मामले अपने हाथ नहीं लेती है. तब उन्होंने चीफ सेक्रेटरी की राय को मानते हुए मामले जांच उन्होंने विजिलेंस को सौंप दी. कोर्ट ने लालू से एसबी सिन्हा के सर्विस एक्सटेंशन के बारे में पूछा. तब लालू ने कहा कि उन्होंने एसबी सिन्हा का सर्विस एक्सटेंशन जगन्नाथ मिश्रा के अनुमोदन पर किया था. लालू प्रसाद के अलावा पूर्व सांसद आरके राणा, जगदीश शर्मा, ध्रुव भगत और विद्यासागर निषाद ने भी अपने-अपने बयान कोर्ट में दर्ज कराए.

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लालू प्रसाद मंगलवार सुबह ठीक ग्यारह बजे कोर्ट पहुंच गए थे. शुरुआत में वे काफी गंभीर थे. कोर्ट के कुछ तीखे सवालों के जबाब के दौरान लालू सवालों से जूझते भी नजर आये. कोर्ट की कार्रवाई लगभग एक घटे चली. इस दौरान कोर्ट भी खचाखच भरा हुआ था. कोर्ट परिसर में बड़ी संख्या में लालू समर्थक नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे. इस मामले की अगली सुनवाई 13 जुलाई को होगी.

मंगलवार सुबह उठकर लालू ने इसके लिए पूरी तैयारी की. उन्होंने हिंदी में वकीलों द्वारा तैयार जवाबों को पढ़ा. इसके पहले सोमवार शाम को पटना से रांची जाते वक्त फ्लाइट में भी करते रहे अपने जवाब की तैयारी. गौरतलब है कि चारा घोटाला मामले में पिछले कुछ दिनों से लगातार लालू प्रसाद की पेशी हो रही है और इनमें उन्हें खुद उपस्थित होने  का निर्देश है.

 अवैध निकासी के चार मामलों में चल रहा है मुकदमा

लालू यादव पर चारा घोटाला मामले में फिलहाल चार मामले दर्ज हैं. जिनमें उन पर देवघर कोषागार, डोरंडा कोषागार, दुमका और चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी का आरोप लगा है. इनमें आरसी-38ए/96 दुमका कोषागार से जुड़ा है. जहां 3.13 करोड़ की अवैध निकासी का मामला है. इसमें लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र, पूर्व सांसद आरके राणा, आइएएस अधिकारी व आपूर्तिकर्ता सहित 43 आरोपी हैं. जबकि आरसी 64 ए/ 96 का मामला देवघर कोषागार से जुड़ा है. जहां 89.24 लाख की अवैध निकासी का आरोप है. इस मामले में लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र, पूर्व सांसद आरके राणा, आइएएस अधिकारी तथा आपूर्तिकर्ता सहित 28 आरोपी हैं.

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1990 से 97 के दौरान लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे इसी दौरान बिहार में चारा घोटाला हुआ. माना जाता है कि इस घोटाले में बिहार सरकार के राजस्व में 1000 करोड़ की गड़बड़ी की गई. 30 सितंबर 2013 को 44 अन्य के साथ सीबीआई कोर्ट ने लालू यादव को इस मामले में दोषी ठहराया गया. 2014 में झारखंड हाईकोर्ट ने लालू यादव के खिलाफ चारा घोटाले मामले में पेंडिंग चार मामलों को खत्म कर दिया. कोर्ट की दलील थी कि एक मामले में दोषी करार दिए गए व्यक्ति को उन्हीं सबूतों और गवाहों के आधार पर अन्य मामलों में दोषी नहीं ठहराया जा सकता.

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई 2017 को चारा घोटाला केस को दोबारा खोल दिया. शीर्ष कोर्ट ने आदेश दिया कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ दर्ज चार अन्य मामलों में भी अलग से ट्रायल चलाया जाए.

 

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