वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने 1 फरवरी को जैसे ही अंतरिम बजट पेश किया, उसके तत्काल बाद फेसबुक पर एक पोस्ट वायरल हो गई. इस पोस्ट में दावा किया गया कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं की पुलिस ने इसलिए पिटाई कर दी क्योंकि वे बजट वाले दिन राष्ट्रविरोधी भाषण दे रहे थे. फेसबुक पर पोस्ट
पोस्ट को यहां आर्काइव देखा जा सकता है.
वीडियो में देखा जा सकता है कि लाठियों के साथ पुलिसकर्मी कुछ लोगों को बुरी तरह पीट रहे हैं. वीडियो में कैप्शन दिया गया है- 'इधर आप बजट में लगे थे, उधर छत्तीसगढ़ में भारत विरोधी भाषण देने पर कांग्रेसियों की जमकर धुलाई की पुलिस वालों ने...'
फेसबुक यूजर मुकेश सोनी ने पब्लिक ग्रुप 'मिशन मोदी 2019 में अपने 100 मित्रों को जोड़े' में इस वीडियो को पोस्ट किया. इस ग्रुप में 5 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. इंटरनेट पर अनेक यूजर्स ने वीडियो को सच मानते हुए कांग्रेस पर प्रहार करने शुरू कर दिए.
इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पाया कि वीडियो के साथ किया गया दावा झूठा है. ये वीडियो पिछले साल सितंबर में उस वक्त का शूट किया गया है जब छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में कांग्रेस कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इसी दौरान प्रदर्शनकारियों ने तत्कालीन शहरी प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल के घर पर कथित रूप से कूड़ा फेंका था. इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर 'लाठीचार्ज' किया था.
वीडियो को विभिन्न फेसबुक पेजों पर 500 से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका है.
जब हमने 'छत्तीसगढ़', ‘लाठी’, ‘चार्ज’, ‘कांग्रेस’ जैसे कीवर्ड्स के साथ सर्च किया तो कई मीडिया रिपोर्ट्स सामने आईं जिनमें घटना के बारे में विस्तार से बताया गया था. हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं दिखीं जिसमें ये बताया गया हो कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन के दौरान देश विरोधी भाषण दिया.
इस घटना को मीडिया ने व्यापक तौर पर कवर किया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी छत्तीसगढ़ में तत्कालीन बीजेपी सरकार की आलोचना करते हुए पुलिस की कार्रवाई को तानाशाही बताया था. साथ ही इसे कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन बताया था.
खुशदीप सहगल