विवाहेतर संबंधों में लैंगिक समानता की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

IPC की धारा 197 के तहत विवाहेतर संबंधों को अवैध बताने वाले प्रावधान को लैंगिक समानता के आधार पर तय किया जाना चाहिए. इस बाबत केरल के जोसेफ शाइन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

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सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 08 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 7:46 PM IST

किसी विवाहित पुरुष का विवाहित महिला से बिना उसके पति की रजामंदी से बनाया गया संबंध अपराध है, लेकिन ऐसी ही स्थिति में महिला को अपराधी नहीं माना जाता. सुप्रीम कोर्ट ने इसी बाबत दायर याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.

IPC की धारा 497 के तहत विवाहेतर संबंधों को अवैध बताने वाले प्रावधान को लैंगिक समानता के आधार पर तय किया जाना चाहिए. इस बाबत केरल के जोसेफ साइन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की टिप्पणी थी कि ये समानता के अधिकार का उल्लंघन है. कोर्ट ने चार हफ्तों में सरकार से जवाब मांगा है.

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IPC का सेक्शन 497 एक विवाहित महिला को सरंक्षण देता है कि भले ही उसके दूसरे पुरुष से संबंध हों. ये सेक्शन महिला को पीड़ित ही मानता है. भले ही अपराध को महिला और पुरुष दोनों ने मिलकर अंजाम दिया का हो. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा जब संविधान महिला और पुरुष दोनों को बराबर मानता है तो आपराधिक केसों में ये अलग क्यों? जबकि जीवन के हर तौर तरीकों में महिलाओं को समान माना गया है. याचिकाकर्ता ने कहा कि जब अपराध महिला और पुरुष दोनों की सहमति से किया गया हो तो महिला को सरंक्षण क्यों दिया जाता है?

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की टिप्पणी थी कि ये तो समानता के अधिकार का उल्लंघन है. लिहाजा कोर्ट इस प्रावधान की वैधता पर सुनवाई करेगा. कोर्ट ने कहा कि कानून की नजर में किसी भी आपराधिक मामले में महिला के साथ अलग से बर्ताव नहीं किया जा सकता.

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सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि पति महिला के साथ किसी वस्तु की तरह बर्ताव नहीं कर सकता. ऐसा करने पर ही महिला को कानूनी कार्रवाई से सरंक्षण मिलना चाहिए और ये तो पुरानी मान्यता है कि जब समाज में प्रगति होती है तो पीढ़ियों की सोच बदलती है. कोर्ट ने कहा कि इस बारे में नोटिस जारी किया जाता है. कोर्ट ने चार हफ्तों में सरकार से जवाब मांगा है. याचिका पर सुनवाई के साथ ही बड़े सवाल ये उभरे कि क्या व्याभिचार यानी Adultary के मामलों में महिला के खिलाफ भी हो सकती है कानूनी कार्रवाई?

केरल के एक्टिविस्ट जोसफ साइन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर IPC 497 की वैधता को चुनौती दी है। उनका कहना है कि पहले के तीन फैसलों में इसे बरकरार रखा गया और संसद को कानून में संशोधन करने की छूट दी गई.

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