कोलकाता में फ्लाईओवर के ढह जाने पर राजनीति जारी है. लेकिन इंडिया टुडे टीवी-आजतक को मिले दस्तावेजों से यह साफ हो जाता है कि इस पुल के मरम्मत की पूरी जिम्मेदारी राज्य लोक निर्माण विभाग (PWD) की थी. उसे यह पता भी था कि पुल की हालत जर्जर है, लेकिन उसने इसकी मरम्मत के लिए कोई कदम नहीं उठाए.
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में मंगलवार को माझेरहाट फ्लाईओवर का एक हिस्सा गिरने के कारण 2 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए थे. हादसे के करीब चौबीस घंटे बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घटनास्थल का दौरा किया.
इंडिया टुडे-आजतक को मिले दस्तावेजों के मुताबिक इस साल 16 अप्रैल को पीडब्ल्यूडी ने मेमो नंबर 1382/एनआईटी जारी कर माझेरहाट ब्रिज के 'सरफेस रिपेयर' के लिए टेंडर आमंत्रित किए थे. पीडब्ल्यूडी के अलीपुर डिवीजन के ऑफिस ऑफ द एग्जीक्यूटिव द्वारा जारी मेमो में कहा गया है, 'यह काम तत्काल करना है और जिस भी एजेंसी को यह काम मिलता है उसे बिना किसी विफलता के निर्धारित समय में इसे पूरा करना होगा.'
हालांकि, अब तक यह काम पूरा नहीं हो पाया. मेमो की 'विशेष नियम और शर्तों में' कहा गया है कि पूरा काम और इसके लिए इस्तेमाल सभी पदार्थ पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर इंजार्च द्वारा 'मंजूर' होना चाहिए.
इन दस्तावेजों से यह साफ होता है कि राज्य का पीडब्ल्यूडी विभाग न सिर्फ पुल की जर्जर दशा से अवगत था, बल्कि इसको दुरुस्त रखने की पूरी जिम्मेदारी ही उसकी थी.
हालांकि, पश्चिम बंगाल के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम इससे सहमत नहीं दिखते. क्या पीडब्ल्यूडी इसके लिए जिम्मेदार है, इस सवाल पर उन्होंने कहा, 'मुझे ऐसा नहीं लगता. शहर में इसके लिए कई एजेंसियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है. सड़कों का विकास केएमसी (नगर निगम) करती है, रखरखाव का काम पीडब्ल्यूडी करती है, रेल वाले हिस्से का रखरखाव रेलवे करता है, यानी यह कई एजेंसियों का काम है.'
अपने लोगों को ठेका दिलाने के लिए हुई देरी!
अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए राज्य सरकार ने कई केंद्रीय एजेंसियों जैसे कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट, ईस्टर्न रेलवे और रेल विकास निगम लिमिटेड को इस दुर्घटना के लिए जिम्मदार बताया है.
बंगाल बीजेपी प्रमुख दिलीप घोष ने बताया, 'हमें पता चला है कि पुल के मरम्मत के लिए टेंडर चार बार कैंसिल किया गया और इसके पीछे वजह सिर्फ यह थी कि अपने लोगों को ठेका दिलाया जा सके. वे कॉन्ट्रैक्ट का मूल्य बढ़ाना चाहते थे और इसी वजह से यह वित्त विभाग के पास लंबित था. प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भी इस बात का समर्थन किया.
दिनेश अग्रहरि / इंद्रजीत कुंडू