स्टेट ऑफ स्टेट गोवा 2019: उद्योगपतियों के बीच विकास बनाम पर्यावरण पर बहस

गोवा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मनोज एम काकुलो ने पॉजिटिव एक्टिविजम (सकारात्मक सक्रियता) का आह्वान किया जिसमें विकास के रास्ते में आने वाले दृष्टिकोण के बजाय चर्चा शामिल है.

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निरंजन हीरानंदानी निरंजन हीरानंदानी

aajtak.in

  • पणजी,
  • 19 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 5:20 PM IST

गोवा में आयोजित इंडिया टुडे के कार्यक्रम 'स्टेट और स्टेट गोवा 2019' में विकास और पर्यावरण पर उसके प्रभाव पर गहन चर्चा हुई. एक बड़े पैनल ने इस मुद्दे पर खुलकर बहस की, जिसमें उद्योग जगत के बड़े चेहरों ने एक संतुलित दृष्टिकोण रखते हुए कहा कि जो विकास को सक्षम बनाता है और किसी भी पर्यावरणीय प्रभाव को कम करता है, जैसे अधिक पेड़ लगाना.

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गोवा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मनोज एम काकुलो ने "पॉजिटिव एक्टिविजम (सकारात्मक सक्रियता)" का आह्वान किया जिसमें विकास के रास्ते में आने वाले दृष्टिकोण के बजाय चर्चा शामिल है.

इसी कड़ी में अपना पक्ष रखते हुए चौगुले समूह के अध्यक्ष अशोक चौगुले ने कहा कि असहमति के लिए जगह होनी चाहिए और विनाशकारी असहमति असहिष्णु होना चाहिए.

इसी तरह, हीरानंदानी समूह के सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक, निरंजन हीरानंदानी ने पर्यावरण के लिए विकास की वकालत की.

हीरानंदानी ने कहा कि जिन कानूनों में गलतियां हैं या जो सही नहीं हैं, उन्हें संशोधित किया जाना चाहिए चाहे वे खनन या पर्यावरण से संबंधित हों. पर्यावरण पर प्रभाव और उसके विकास के बारे में बात करते हुए हीरानंदानी ने कहा, सरकारों को निजी क्षेत्र को और अधिक पेड़ लगाने के लिए दवाब डालना चाहिए.

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वहीं अशोक चौगुले ने कहा, 'हमें समझना चाहिए कि किसी भी परियोजना का पर्यावरण पर प्रभाव पड़ेगा. हम पेड़ नहीं काटना चाहते, लेकिन कोई विकल्प नहीं है. आप इसे कम कर सकते हैं.'

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