अगले तीन साल में पूरी तरह भारत में असेम्बल दसॉ फाल्कन 2000 बिजनेस जेट दसॉ-रिलायंस के नागपुर स्थित कारखाने से बनकर निकलना शुरू हो जाएगा. भारत-फ्रांस की दो कंपनियों के इस संयुक्त उद्यम (जेवी) के द्वारा नागपुर एयरपोर्ट के पास 1,50,000 वर्ग फुट की प्रोडक्शन लाइन स्थापित की गई है. आजतक-इंडिया टुडे की टीम इस कारखाने के अंदर पहुंची और वहां चल रहे काम का जायजा लिया.
दसॉ-रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (DRAL) द्वारा यहां पर एक विशाल हैंगर और दसॉ के बेस्ट सेलिंग बिजनेस जेट विमान फाल्कन 2000 के लिए पहले भारत में बनने वाले कॉकपिट सेक्शन का निर्माण कार्य चल रहा है, जिसे शुक्रवार को दसॉ को सौंप दिया जाएगा. इस कारखाने में तेजी से काम चल रहा है ताकि 2022 तक भारत में पूरी तरह से विमान की असेम्बलिंग शुरू हो जाए.
देश की राजधानी में राफेल और दसॉ को लेकर राजनीति गर्म रहती है, लेकिन वहां से 1000 किलोमीटर से ज्यादा दूर मौजूद कारखाने में तमाम कर्मचारी चुपचाप काम कर रहे हैं. साल 2019 के चुनावी मौसम में अगर किसी कॉरपोरेट कंपनी के कारखाने को लेकर सबसे ज्यादा विवाद है तो वह यही जगह है. यहां विमानों के पार्ट्स के निर्माण के लिए फ्रांस के दसॉ और भारत के रिलायंस अनिल धीरूभाई ग्रुप (ADAG) ने हाथ मिलाया है. रिलायंस के इसी कारखाने को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार पर जबर्दस्त हमला करते रहे हैं.
इस कारखाने का काम साल 2017 में शुरू होने के बाद पहली बार कुछ अन्य पत्रकारों के साथ आजतक-इंडिया टुडे वहां पहुंचा. जनता की नजरों से दूर इस कारखाने में करीब एक साल से काम चल रहा है. क्या राफेल पर होने वाली राजनीति का इस कारखाने के काम पर कोई असर पड़ा है? इस सवाल पर दसॉ एविएशन के सीनियर एग्जीक्यूटिव वीपी इंटरनेशनल बेनाइट दसॉगे ने कहा, 'बिल्कुल नहीं. हमने अपनी राह बनाई है और उस पर चल रहे हैं. हम राजनीति के आधार पर अपनी रणनीति नहीं बदलते. हम इससे प्रभावित नहीं हैं और कोई भी व्यक्ति यदि कुछ कहता है, तो हम उस पर टिप्पणी नहीं कर सकते.'
कारखाने में 22 प्रशिक्षित कर्मचारी फाल्कन 2000 कॉकपिट और फ्रंट फ्यूल टैंक सेक्शन के असेम्बलिंग कार्य में लगे हैं. बाद में 650 लोगों को फ्यूल जेट की असेम्बलिंग में लगाया जाएगा. तब कंपनी को उम्मीद है कि हर महीने 2 जेट विमान तैयार होकर निकल सकेगा. क्या दसॉ अपने फाल्कन 2000 विमान का पूरा असेम्बलिंग कार्य भारत में करेगा, इसे लेकर अभी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है. कंपनी के एग्जीक्यूटिव कहते हैं कि फ्रांस में फिलहाल यूनियन और श्रमिकों का मसला राजनीतिक रूप से संवेदनशील बना हुआ है, लेकिन इसके बारे में निर्णय में अभी एक साल लग जाएगा.
दसॉ ने यह कारखाना बिजनेस जेट और फाइटर विमानों के पार्ट्स बनाने के लिए स्थापित किया है, लेकिन यहां राफेल का पार्ट्स बनेगा या नहीं, इसके बारे में दसॉगे ने बताया कि मौजूदा 36 विमान के ऑर्डर पूरे होने के बाद ही इस पर विचार किया जाएगा. दसॉ को जब एयरफोर्स से 110 मेड इन इंडिया राफेल विमान बनाने का ऑर्डर मिलेगा उसके बाद ही इस कारखाने में दसॉ विमान की असेंबलिंग शुरू होगी.
सीईओ एस.टी. सम्पत कुमार के नेतृत्व में डीआरएएल फिलहाल फाल्कन 2000 पर ही फोकस कर रहा है. जो राफेल सौदे के तहत तय ऑफसेट के दायित्व के तहत है. दसॉ और रिलायंस ने 3 अक्टूबर 2016 को संयुक्त उद्यम की घोषणा की थी, इसके बमुश्किल दो हफ्ते पहले ही भारत ने करीब 7.87 अरब यूरो के सौदे में 36 राफेल जेट खरीदने का करार फ्रांस से किया था.
शिव अरूर