पश्चिम बंगाल के पहाड़ी इलाकों के स्कूलों में बांग्ला भाषा को जरूरी बनाने का मसला तूल पकड़ चुका है. इस विवाद को लेकर दार्जिलिंग में तनाव का माहौल है. यहां के बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री एसएस अहलूवालिया ने इस हालात के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जिम्मेदार ठहराया है.
'बांग्ला थोप रही हैं ममता बनर्जी'
आजतक के साथ खास बातचीत में अहलूवालिया ने कहा कि ममता बनर्जी गलत ढंग से बांग्ला भाषा को लोगों पर थोप रही हैं. उनका आरोप था कि ये फैसला पश्चिम बंगाल की कैबिनेट में पारित नहीं हुआ. बल्कि ममता बनर्जी ने पिछले दोनं एक सम्मेलन के दौरान बांग्ला को अनिवार्य बनाने का ऐलान किया था. हालांकि अहलूवालिया ने साफ किया कि वो किसी एक भाषा के खिलाफ नहीं हैं.
'बांग्ला के विरोध में दार्जिलिंग के लोग'
अहलूवालिया का कहना था कि ममता बनर्जी अपने मुंह से निकली बात को ही कानून समझती हैं. उनके मुताबिक दार्जिलिंग के इलाकों में लोगों की मातृभाषा नेपाली है. वो राष्ट्रभाषा के तौर पर हिंदी और रोजी-रोटी के लिए अंग्रेजी सीखना चाहते हैं. लिहाजा तीन भाषा के फॉर्मूले के तहत यहां बांग्ला के लिए कोई जगह नहीं है. अहलूवालिया का आरोप था कि ममता ने पैसे के इस्तेमाल और सरकारी तंत्र के दुरुपयोग से दार्जिलिंग कॉर्पोरेशन की सीटें जीतीं हैं और अब वो लोगों के दमन में जुटी हैं.
'पर्यटकों ने मोड़ा मुंह'
अहलूवालिया ने माना कि दार्जिलिंग की अर्थव्यवस्था के लिए पर्यटन बेहद जरूरी है. लेकिन इस आंदोलन के चलते आम सैलानी परेशान हैं. ममता बनर्जी के पूरे बंगाल में स्कूलों में बंगाली पढ़ाए जाने को अनिवार्य बनाया था. इसके खिलाफ गुरुवार को प्रदर्शन हिंसक हो गए थे. स्थिति पर नियंत्रण के लिए आर्मी तैनात की गई है. आज 12 घंटे का बंद है. दार्जिलिंग घुमने आए हजारों सैलानी बंद के कारण फंसे गए हैं.
अशोक सिंघल