बंगाल की खाड़ी में बना डीप डिप्रेशन अब साइक्लोन बन चुका है. मौसम विभाग ने इस साइक्लोन को क्यांत (KYANT) नाम दिया है. क्यांत साइक्लोन इस समय उड़ीसा के गोपालपुर से तकरीबन 700 किलोमीटर और आंध्र प्रदेश के विशाखापट्नम से 800 किलोमीटर की दूरी पर बंगाल की खाड़ी में है.
तटीय इलाकों से टला खतरा
साइक्लोन सेंटर के मुताबिक क्यांत साइक्लोन अभी फिलहाल पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा की तरफ बढ़ रहा है. लेकिन इसकी दिशा में अगले 48 से 72 घंटों में बदलाव आएगा और ये पश्चिम दिशा से पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम दिशा की तरफ चल देगा. इसी के साथ पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों और उड़ीसा के तटीय इलाकों से इसका खतरा टलता हुआ नजर आ रहा है. लेकिन इस साइक्लोन की दिशा आंध्र प्रदेश के काकीनाडा की तरफ होने की संभावना बताई जा रही है.
मौसम विभाग कर रहा है निगरानी
इस तरह से हम कह सकते हैं कि पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के तमाम तटीय इलाकों में साइक्लोन का खतरा हटता हुआ नजर आ रहा है. साइक्लोन सेंटर के मुताबिक चक्रवाती तूफान क्यांत के मामले में अनिश्चितता बनी हुई है और इसके बारे में सटीक जानकारी अगले 24 से 48 घंटों में मिल पाएगी. पूर्वी तट के पास के सभी वेदर स्टेशनों और राडार सिस्टम्स को इस साइक्लोन पर नजर रखने का निर्देश दिया जा चुका है और पल-पल बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवात पर लगातार नजर रखी जा रही है. इसी के साथ भारत के सभी वेदर सैटेलाइट्स को बंगाल की खाड़ी में बने क्यांत चक्रवात के बादलों, हवाओं और तापमान पर नजर रखने के लिए ट्यून इन कर दिया गया है. साइक्लोन सेंटर के वैज्ञानिक चक्रवात क्यांत से मिले आंकड़ों को सुपर कंप्यूटर के जरिए एनॉलाइज कर रहे हैं.
70 से लेकर 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं
साइक्लोन सेंट के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस समय क्यांत साइक्लोन के अंदर 70 से लेकर 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही हैं. इन हवाओं की रफ्तार अगले 24 घंटों में बढ़कर 90 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच जाएगी. ऐसा अनुमान है कि साइक्लोन के भीतर की हवाओं की रफ्तार 28 तारीख की सुबह तक बढ़कर 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच जाएंगी.
मछुआरों को समंदर में न जाने की सलाह
साइक्लोन क्यांत की वजह से उड़ीसा और उत्तर आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में समंदर अशांत रहेगा. मौसम विभाग के मुताबिक 27 तारीख से इन तटीय इलाकों में 45 से 65 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने का अनुमान है. इसके चलते उड़ीसा और उत्तर आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में मछुआरों को समंदर में न जाने की सलाह दी गई है.
सिद्धार्थ तिवारी