क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अंधेरे में है भारत सरकार, नहीं है निवेशकों की जानकारी

पूछा गया था कि क्रिप्टोकरेंसी पर काबू पाने के लिए सरकार के पास कोई कानून है और सरकार इस बात के लिए क्या कदम उठा रही है कि लोग अपना काला धन क्रिप्टोकरेंसी में न बदल लें और आतंकवादी इसका इस्तेमाल ना करें.

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बालकृष्ण

  • नई दिल्ली,
  • 13 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 6:25 PM IST

आतंकवादियों से लेकर गैरकानूनी धंधे करने वाले लोग क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल कर रहे हैं ये बात लगातार उठ रही है लेकिन सरकार का कहना है कि उसे इस बारे में कुछ भी पता नहीं है.  

राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पी राधाकृष्णन ने कहा कि सरकार को इस बात की जानकारी नहीं है कि क्रिप्टोकरेंसी में कितने लोगों ने कितना पैसा लगा रखा है. कांग्रेस पार्टी के नेता पीएल पुनिया ने सवाल पूछा था कि देश में कितने लोग क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर चुके हैं और इसमें कितना पैसा लगा हुआ है.

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सवाल में पूछा गया था कि क्रिप्टोरेंसी पर काबू पाने के लिए सरकार के पास कोई कानून है और सरकार इस बात के लिए क्या कदम उठा रही है कि लोग अपना काला धन क्रिप्टोकरेंसी में न बदल लें और आतंकवादी इसका इस्तेमाल ना करें.

सरकार के पास नहीं जवाब

सदन में सरकार के पास इन सवालों का कोई ठोस जवाब नहीं है. इन सवालों के जवाब में सरकार ने सिर्फ इतना कहा कि क्रिप्टोकरेंसी गैरकानूनी है और इसे किसी तरह की आर्थिक गतिविधि के लिए मान्यता प्राप्त नहीं है. लेकिन सरकार ने माना कि उसके पास इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि कितने लोगों ने अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी में कितना पैसा लगा रखा है.

क्रिप्टोकरेंसी पर कानून बनाने के बारे में सरकार ने सिर्फ इतना कहा कि डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स के सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी इस मामले पर विचार कर रही है. क्रिप्टोकरेंसी के बारे में ही पूछे गए एक अन्य सवाल के जवाब में सरकार ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता का नोटबंदी से कोई लेना देना नहीं है और यह कहना गलत है कि नोटबंदी की वजह से लोगों का रुझान क्रिप्टोकरेंसी की तरफ बढ़ा है.

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सरकार ने यह भी माना कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 9 तरह की क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन को लेकर बेंगलुरु, मुंबई, दिल्ली, पुणे और हैदराबाद में लोगों को नोटिस भेजा है.

क्या है क्रिप्टोकरेंसी?

क्रिप्टोकरेंसी इंटरनेट पर चलने वाली एक वर्चुअल करेंसी हैं. इंटरनेट पर इस वर्चुअल करेंसी की शुरुआत जनवरी 2009 में बिटकॉइन के नाम से हुई थी. इस वर्चुअल करेंसी का इस्तेमाल कर दुनिया के किसी कोने में किसी व्यक्ति को पेमेंट किया जा सकता है और सबसे खास बात यह है कि इस भुगतान के लिए किसी बैंक को माध्यम बनाने की भी जरूरत नहीं पड़ती.

कैसे काम करती है काम?

बिटकॉइन का इस्तेमाल पीयर टू पीयर टेक्नोलॉजी पर आधारित है. इसका मतलब कि बिटकॉइन की मदद से ट्रांजैक्शन दो कंप्यूटर के बीच किया जा सकता है. इस ट्रांजैक्शन के लिए किसी गार्जियन अथवा सेंटरेल बैंक की जरूरत नहीं पड़ती. बिटकॉइन ओपन सोर्स करेंसी है जहां कोई भी इसकी डिजाइन से लेकर कंट्रोल को अपने हाथ में रख सकता है.

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