बिहार में महागठबंधन की सरकार मुश्किल में है. मुश्किल इसलिए क्योंकि महागठबंधन के घटक दल राष्ट्रपति चुनाव को लेकर दो हिस्सों में बंट गए हैं. एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू बिहार के राज्यपाल रहे रामनाथ कोविंद का समर्थन कर रही है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार मीरा कुमार को बनाया है, जिसका समर्थन आरजेडी कर रही है.
महागठबंधन में जनता दल यू और आरजेडी के नेता एक दुसरे पर निशाना साध रहे हैं. पर कांग्रेस इस सबसे दूर है. वह खामोश है. कांग्रेस को एक तरफ उम्मीद है कि नीतीश कुमार अपने फैसले पर पुनर्विचार करेंगे, तो दूसरी तरफ खामोशी बता रही है कि राष्ट्रपति चुनाव के फैसले के बाद कांग्रेस बिहार में बडा कदम उठाने पर भी विचार कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक ये फैसला महागठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने का भी हो सकता है.
हांलाकि नीतीश कुमार के रवैये पर सोमवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाई, लेकिन इसका कोई असर जनता दल यू पर नही दिखा. बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार पहले ही यह बता चूके है कि उनकी पार्टी क्यों एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन कर रही है और विपक्ष बिहार की बेटी मीरा कुमार को हराने के लिए उन्हें मैदान मे उतार रही है.
अगर ऐसा ही था तो जब कांग्रेस के पास बहुमत था तब उसने क्यों नही मीरा कुमार को मैदान में उतारा. पार्टी आज भी उसी पर कायम और आगे भी रहेगी. जनता दल यू के प्रवक्ता अजय आलोक का कहना है कि राष्ट्रपति किसी दल या जमात का नही होता. हम आज भी अपने फैसले पर कायम हैं.
बिहार कांग्रेस से मिल रही अंदरूनी खबरों के मुताबिक कांग्रेस के कई विधायक एनडीए के पक्ष में मतदान कर सकते हैं. दावा दूसरी तरफ से भी किया जा रहा है कि जनता दल यू के विधायक मीरा कुमार के समर्थन में आएंगे. लेकिन अभी इस पर कुछ भी कहना है जल्दीबाजी ही होगी. पर इतना तो तय है कि आंकड़ों के हिसाब से एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद की जीत निश्चित है.
जनता दल यू और आरजेडी के बीच नोकझोक में थोड़ी कमी आई है. आरजेडी सुप्रीमो ने नीतीश कुमार पर टिप्पणी करने वाले विधायक भाई वीरेन्द्र को तलब कर अपने बयान पर लगाम लगाने की नसीहत दी, तो प्रवक्ता पर कार्रवाई करते हुए पद से हटा भी दिया. जेडीयू फिलहाल तो संतुष्ट है लेकिन इसे विराम नही मना जा सकता है.
बहरहाल भले ही महागठबंधन के नेता ये कह रहे हैं कि सबकुछ ठीक-ठाक है, लेकिन अंदर ही अंदर आग सुलग रही है. कांग्रेस भी इसलिए चुप है कि राष्ट्रपति चुनाव में हार के बाद वो किसी न किसी पर ठीकरा फोड़ेगा ही, ऐसे में महागठबंधन से उचित अवसर और कहां मिलेगा. हांलाकि, इन सबके पीछे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीपी जोशी के उस बयान को माना जा रहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि महागठबंधन का अस्तित्व केवल बिहार में है, बिहार के बाहर नहीं. ऐसे में जनता दल यू का मानना है कि राष्ट्रपति का चुनाव देश का चुनाव है, बिहार का नहीं.
सुजीत झा