पश्चिम बंगाल में कांग्रेस इस दुविधा में है कि वह लोकसभा चुनाव अकेले अपने दम पर लड़े या राज्य में माकपा के साथ गठबंधन करे. पार्टी के कुछ नेता माकपा के साथ अनौपचारिक तरीके से सीटें साझा कर चुनाव लड़ने के पक्ष में हैं जबकि कुछ अन्य अकेले दम पर चुनाव लड़ना चाहते हैं. पार्टी सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में अंतिम फैसला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी करेंगे.
पश्चिम बंगाल में कभी सबसे मजबूत रहे माकपा-नीत वाम मोर्चा अपना बड़ा आधार तृणमूल कांग्रेस के हाथों गंवा चुका है लेकिन अभी भी राज्य में उसके संगठन का ढांचा मौजूद है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और समन्वय समिति के अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने पीटीआई को बताया कि एक धड़ा माकपा के साथ सीटें साझा करने के पक्ष में है और यह बहुमत में है. हालांकि एक धड़ा अकेले दम पर चुनाव लड़ना चाहता है.
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि रणनीति तय करने के लिए इस महीने राज्य के पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई जाएगी और उनके फैसले से आलाकमान को अवगत कराया जाएगा. पार्टी के एक नेता ने कहा, 'पार्टी नेताओं का बहुमत माकपा के साथ सीटें साझा करने के पक्ष में है, हालांकि कुछ लोग अकेले चुनाव पड़ने के पक्ष में भी हैं. हम बैठक बुलाएंगे.'
राज्य में लोकसभा की 42 सीटें हैं और कांग्रेस कम से कम 18-20 पर अपने उम्मीदवार उतारने पर विचार कर रही है. फिलहाल पार्टी के पास सिर्फ 4 सीटें हैं. कांग्रेस के 1 अन्य नेता ने कहा कि गांधी ने संगठन को मजबूत बनाने को कहा है. उन्होंने कहा, ‘उन्होंने अंतिम फैसला राज्य इकाई पर छोड़ा है. इस पर बंगाल इकाई का फैसला आने के बाद ही वह अंतिम निर्णय लेंगे. लेकिन हमने अभी तक अपना फैसला उन्हें नहीं बताया है कि हम राज्य में लोकसभा चुनाव अकेले दम पर लड़ना चाहते हैं या वाम दलों के साथ मिलकर.’
कांग्रेस और माकपा दोनों के ही दलों के नेतृत्व को भरोसा है कि इस महीने राहुल गांधी और माकपा महासचिव सीता राम येचुरी की मुलाकात के दौरान कुछ हल निकलेगा. फिलहाल राज्य में तृणमूल कांग्रेस के 34, कांग्रेस के चार और माकपा तथा भाजपा के दो-दो लोकसभा सांसद हैं.
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