CAA-NRC में अंतर, क्या ये मुस्लिम विरोधी है? सरकार ने दिए इन 13 सवालों के जवाब

विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार द्वारा लाया गया ये कानून संविधान का उल्लंघन करता है और भारत की मूल भावना के खिलाफ है. इस सभी विरोध के बीच मोदी सरकार ने अब इस कानून के बारे में लोगों को जानकारी देने की शुरुआत की है.

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देश के कई हिस्सों में CAA का विरोध (फोटो: PTI) देश के कई हिस्सों में CAA का विरोध (फोटो: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:00 AM IST

  • नागरिकता संशोधन एक्ट पर देश में प्रदर्शन
  • सरकार ने अफवाह दूर करने के लिए संभाला मोर्चा
  • CAA-NRC से जुड़े 13 सवालों का जवाब दिया

देश के कई हिस्सों में नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) के खिलाफ आम जनता और विपक्षी पार्टियां सड़कों पर उतरी हुई हैं. राजधानी दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में भी प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया. विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार द्वारा लाया गया ये कानून संविधान का उल्लंघन करता है और भारत की मूल भावना के खिलाफ है. इस सभी विरोध के बीच मोदी सरकार ने अब इस कानून के बारे में लोगों को जानकारी देने की शुरुआत की है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत पूरी सरकार ये आरोप लगा रही है कि विपक्ष इस कानून को लेकर आम जनता में अफवाह फैला रहा है, साथ ही इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ वाला करार दे रहा है.

इस सभी के बीच जो सवाल लगातार उठ रहे हैं, अब सरकार ने इन्हीं सवालों का जवाब दिया है. केंद्र सरकार की ओर से कुल 13 सवालों के जवाब दिया है, जो आम लोगों को CAA के बारे में पुख्ता जानकारी देते हैं. इन सवालों के अलावा मोदी सरकार की ओर से सभी अखबारों में CAA से जुड़ी जानकारी का विज्ञापन दिया गया है.

नागरिकता संशोधन एक्ट पर प्रदर्शन की कवरेज क्लिक कर पढ़ें...

इन सवालों में नागरिकता संशोधन एक्ट और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन में अंतर, इस कानून का देश के लोगों पर क्या असर होगा, क्या इससे मुस्लिमों को डरने की जरूरत है, NRC में नागरिकता साबित करने के लिए किन डॉक्यूमेंट की जरूरत होगी.

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सरकार की ओर से इन सवालों का जवाब दिया गया है...

CAA पर जारी सवाल जवाब...

CAA पर जारी सवाल जवाब...

CAA पर जारी सवाल जवाब...

CAA पर जारी सवाल जवाब...

गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए इस कानून के तहत अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदाय के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. इसके अलावा नागरिकता मिलने के लिए जो समयसीमा 11 साल की थी, उसे घटाकर 6 साल कर दी गई है. विपक्ष का आरोप है कि ये एक्ट संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन करता है.

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