वीडियोकोन लोन केस: तीसरी बार ED के सामने नहीं पेश हुईं चंदा कोचर

वीडियोकोन लोन मामले में आरोपी और आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर तीसरी बार प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारियों के सामने पूछताछ के लिए पेश नहीं हुईं.

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आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर (फाइल फोटो-PTI) आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर (फाइल फोटो-PTI)

मुनीष पांडे

  • नई दिल्ली,
  • 14 जून 2019,
  • अपडेटेड 1:23 PM IST

वीडियोकोन लोन मामले में आरोपी और आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर तीसरी बार प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारियों के सामने पूछताछ के लिए पेश नहीं हुईं. 10 जून को भी वे सेहत का हवाला देकर ED के सामने पेश नहीं हुई थीं. चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर से पिछले महीने ED ने इस मामले में पांच बार पूछताछ की थी.

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ईडी ने 7 जून को 1,875 करोड़ रुपे के वीडियोकॉन लोन मामले में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ चंदा कोचर को 10 जून को हाजिर होने के लिए नोटिस जारी किया था. चंदा कोचर को एजेंसी के जामनगर कार्यालय में 10 जून को 10.30 बजे पेश होना था, लेकिन वह पेश नहीं हुईं. इसके बाद आज उन्हें पेश होना था, लेकिन आज भी स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए चंदा कोचर पेश नहीं हुईं.

क्या है पूरा मामला

चंदा कोचर और उनके पति से 2009 और 2011 के दौरान आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन समूह को 1,875 करोड़ रुपये के लोन को मंजूरी देने में कथित वित्तीय अनियमितत के मामले में पूछताछ की जा रही है. ईडी को अवैध लेन-देन से संबंधित सबूत मिले थे, जिसमें चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी नू पावर को करोड़ों रुपये दिए गए थे.

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चंदा कोचर के घर पर हुई थी छापेमारी

ईडी ने इस मामले की जांच के सिलसिले में कोचर के घर और कार्यालयों पर कई बार छापेमारी की थी. साथ ही चंदा और दीपक कोचर और वीडियोकॉन समूह के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत से भी पूछताछ की गई थी. कथित रूप से, वीडियोकॉन समूह के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत ने दीपक कोचर की कंपनी नूपॉवर रिन्यूवेबल लि. में अपनी कंपनी सुप्रीम इनर्जी द्वारा निवेश किया, जो कि चंदा कोचर के तहत आईसीआईसीआई बैंक के मिले कर्ज के बदले किया गया.

वीडियोकॉन समूह पर 40 हजार करोड़ का लोन

वीडियोकॉन समूह को दिए गए 40,000 करोड़ रुपए कर्ज में से 3,250 करोड़ रुपए का कर्ज आईसीआईसीआई बैंक की ओर से दिया गया और इस कर्ज के बड़े हिस्से को साल 2017 तक नहीं चुकाया गया. बैंक ने इनमें से 2,810 करोड़ रुपए के नहीं चुकाए गए कर्ज को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित कर दी थी.

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