पर्सनल लॉ पर जागरुकता के लिए जमात चलाएगी अभियान, APP का लेगी सहारा

मुसलमानों के एक बड़े संगठन जमात-ए-इस्लामी हिन्द ने मुस्लिम समुदाय और गैर-मुस्लिमों में भी पर्सनल लॉ के बारे में सही जानकारी प्रसारित करने के मकसद से एक बड़ी मुहिम शुरू करने का फैसला किया है.

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जमात नेे किया प्रेस कॉन्फ्रेंस जमात नेे किया प्रेस कॉन्फ्रेंस

अहमद अजीम

  • नई दिल्ली,
  • 22 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 12:13 AM IST

मुसलमानों के एक बड़े संगठन जमात-ए-इस्लामी हिन्द ने मुस्लिम समुदाय और गैर-मुस्लिमों में भी पर्सनल लॉ के बारे में सही जानकारी प्रसारित करने के मकसद से एक बड़ी मुहिम शुरू करने का फैसला किया है. 23 अप्रैल से लेकर 7 मई तक जमात, पर्सनल लॉ पर जागरूकता अभियान चलाएगी. खास बात ये है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ पर किसी भी तरह की जानकारी के लिए जमात ने एक एंड्रॉयड Muslim Personal law Awareness Campaign App भी लॉन्च किया है जिस पर कोई भी पर्सनल लॉ से जुड़ी जानकारी हासिल की जा सकती है.

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इस अभियान के ज़रिए जमात का इरादा कम से कम 5 करोड़ लोगों तक पहुंचने का है. अभियान के संयोजक मौलाना मोहम्मद जाफर के मुताबिक राज्यों की राजधानी में 23 अप्रैल को इस कैंपेन को शुरू किया जाएगा. उसके बाद ज़िला मुख्यालय और फिर छोटी-छोटी जगहों पर ये पहुंचेगा. महिलाओं की बहुत-सी टीमें बनाई हैं, जो जगह-जगह जाएंगी. इस अभियान के दौरान जमात का इरादा 10 हज़ार छोटी-बड़ी मीटिंग का इरादा है, 700 प्रेस कांफ्रेंस, 700 बड़ी पब्लिक मीटिंग, महिलाओं की 500 रैलियां करने का इरादा है. प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया का पूरा इस्तेमाल इस कैंपेन में किया जाएगा.

मौलाना जाफर के मुताबिक गरीब अनपढ़ मुसलमानों में खास-तौर पर काम किया जाएगा क्योंकि पर्सनल लॉ का गलत इस्तेमाल इसी वर्ग में होता है. इस मकसद से 500 झुग्गियों बस्तियों में जमात का संदेश पहुंचाया जाएगा. 20 हज़ार गांव में पहुंचने की कोशिश की जाएगी. बड़ी संख्या में वकीलों को इस मुहिम में जोड़ा जाएगा जो पर्सनल लॉ के बारे में सही बात बता सकें.

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छात्रों को, मस्जिद के इमामों को, मदरसों को मु हिम से जोड़ा जाएगा. हज़ारों मदरसों में प्रोग्राम चलाये जाएंगे और करीब 10 हज़ार बड़ी मस्जिदों में पर्सनल लॉ पर बयान किया जाएगा.

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में मीडिया से मुखातिब होते हुए जमात के अध्यक्ष मौलाना जलालुद्दीन उमरी ने कहा, 'आम मुसलमान पर्सनल लॉ की बहुत-सी बातों को नहीं जानता. हम चाहते हैं उन तक सही बात पहुंचे. हमारी जहां तक पहुंच होगी, ये कोशिश होगी हम सही बात पहुंचाए. इस काम मे हम मीडिया का भी सहयोग चाहते हैं.'

 

उमरी ने कहा कि इस मुल्क में मुसलमानों की बहुत-सी समस्याएं हैं मसलन फसादात का मसला, बेरोज़गारी, पिछड़ापन वगैरह, लेकिन ऐसा माहौल बना दिया गया है कि जैसे तीन तलाक़ और पर्सनल लॉ ही सबसे बड़ा मसला है. ऐसा बताया जा रहा है कि बस इस वजह से मुसलमान पीछे रह गया है. मुसलमानों के सारे मसायल से ध्यान हटा कर बस इस तरफ लगा दिया गया है जैसे मुस्लिम समाज मे और कोई मसला ही न हो.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बैनर तले चलाये गये हस्ताक्षर कैंपेन के बारे में बात करते हुए उमरी ने कहा कि '5 करोड़ लोगों ने हस्ताक्षर किया पर्सनल लॉ के हक़ में. ये सब लॉ कमीशन को दिया. 5 करोड़ में औरतों की संख्या ज़्यादा थी. आज़ादी के बाद मुस्लिम समाज की कोई तहरीक इतनी बड़ी नहीं रही जहां इतने हस्ताक्षर किए हों पर्सनल लॉ की हिमायत में.'

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मौलाना उमरी ने कहा कि पर्सनल लॉ के बारे में बहुत सी गलतफहमियां हैं जिसे दूर करने की ज़रूरत हैं. उमरी ने माना कि इसमें मुस्लिम तंजीमों की भी कमी है कि उन्होंने क़ुरआन और हदीस और पर्सनल लॉ के बारे में देश के लोगों तक सही बात नहीं पहुंचाई.

उमरी के मुताबिक भारत जैसे बड़े देश में 15 दिन का अभियान काफी नहीं है, लेकिन इसके जरिये लोगों में जागरूकता आएगी और ये सिलसिला फैलता चला जाएगा.

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