आयकर अफसरों ने नहीं किया था कैफे कॉफी डे के फाउंडर को प्रताड़ित, जांच में खुलासा

सीबीआई के डीआईजी स्तर के अधिकारी अशोक कुमार मल्होत्रा ने आयकर विभाग पर लग रहे सभी आरोपों को खारिज कर दिया है. अशोक ने अपनी जांच में कहा है कि आयकर विभाग के अधिकारियों द्वारा कभी भी सिद्धार्थ को प्रताड़ित नहीं किया गया.

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वीजी सिद्धार्थ (फाइल फोटो) वीजी सिद्धार्थ (फाइल फोटो)

मुनीष पांडे

  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 9:05 AM IST

  • सिद्धार्थ की सहायक कंपनी पर 3535 करोड़ रुपये बकाया थे
  • आयकर विभाग के अधिकारियों पर लग रहे सभी आरोप खारिज

कैफे कॉफी डे के फाउंडर वीजी सिद्धार्थ की मौत को करीब एक साल हो गया है. रिटायर्ड सीबीआई ऑफिसर की जांच भी सामने आ गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सिद्धार्थ की सहायक कंपनी पर 3535 करोड़ रुपये बकाया थे. जांच में कैफे कॉफी डे की बैलेंस शीट में 2,693 करोड़ रुपये का अंतर होने की भी बात कही गई है.

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सीबीआई के डीआईजी स्तर के अधिकारी अशोक कुमार मल्होत्रा ने आयकर विभाग पर लग रहे सभी आरोपों को खारिज कर दिया है. अशोक ने अपनी जांच में कहा है कि आयकर विभाग के अधिकारियों द्वारा कभी भी सिद्धार्थ को प्रताड़ित नहीं किया गया. इससे पहले आयकर विभाग के अधिकारियों पर सिद्धार्थ को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लग रहा था.

वीजी सिद्धार्थ का शव नेत्रवती नदी में मिला था

आईटी अधिकारियों को दोषमुक्त करते हुए मल्होत्रा ने कहा, 'हम कोई दस्तावेजी सबूत प्रदान नहीं करेंगे जिससे ये साबित हो कि आयकर विभाग के द्वारा जाने या अनजाने में प्रताड़ना की गई है या नहीं.' कैफे कॉपी डे एंटरप्राइज लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने 30 अगस्त 2019 को अशोक कुमार मल्होत्रा को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी.

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अशोक मल्होत्रा को वीजी सिद्धार्थ के अंतिम पत्र के बयान की अग्रणी परिस्थितियों और उसकी सहायक कंपनियों के खातों की जांच की जिम्मेदारी दी गई थी. वीजी सिद्धार्थ का शव चिकमगलूर जिले के नेत्रवती नदी में पिछले साल जुलाई में मिला था और पुलिस ने मौत के पीछे का कारण सुसाइड बताया था जबकि अटकलें थीं कि उन्हें आईटी अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा था.

31 जुलाई 2019 तक 3535 करोड़ रुपये बकाया थे

रिपोर्ट के मुताबिक, जांचकर्ताओं ने कहा, 'मैसूर एमालगेमेटेड कॉफी एस्टेट लि. (एमएसीईएल) पर कैफे कॉफी डे लिमिटेड की सहायक कंपनियों के 31 जुलाई 2019 तक 3535 करोड़ रुपये बकाया थे. 3535 करोड़ रुपये में से सहायक कंपनियों के 842 करोड़ रुपये एमएसीईएल पर बकाया था. इसलिए 2693 करोड़ रुपये के बकाया का अभी समाधान नहीं हो पाया है.'

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जांच एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, सिद्धार्थ की निजी संपत्ति और शेयर कंपनी के बिजनेस लोन और सहायक कंपनियों के लिए गिरवी थे. जांच रिपोर्ट 24 जुलाई 2020 को CDEL के बोर्ड को सौंप दी गई है. अशोक मल्होत्रा ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा कि वीजी सिद्धार्थ मुनाफे वाला बिजनेस मॉडल स्थापित करने में फेल हो गए. अपने सर्वोत्तम प्रयासों को बावजूद ऐसा नहीं हो पाया और वह उधार के बोझ तले दब गए.

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