केंद्र सरकार के सामने बड़ी चुनौती महंगाई की मार और वित्तीय घाटा है. अप्रैल में खुदरा महंगाई 2.92 फीसदी थी तो वित्तीय घाटा जीडीपी की 3.4 फीसदी. लेकिन इनसे आगे बेरोजगारी की समस्या का हल निकालना सरकार की सबसे बड़ी चुनौती है. इस दिशा में शपथ ग्रहण के अगले दिन ही मोदी सरकार जुट गई. किसानों मजदूरों को पेंशन तो अब रोजगार के लिए सर्वे शुरू हो गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबका साथ सबका विकास के नारे को सबका विश्वास की नई रेखा तक खींचकर पहुंचा दिया. अभी चुनाव तो बीते ही हैं जब देश के करोड़ों नौजवानों की आंखों में ये सपने तैर रहे थे कि मोदी सरकार दोबारा आएगी तो रोजगार आएगा, उनकी उदास दुनिया में खुशियों का नया सवेरा आएगा. हालांकि सरकार का दावा पहले से ही ये है कि हालात तो पिछले पांच सालों में ही बहुत सुधर गए हैं.
पीएम मोदी कह चुके हैं कि मैं बहुत संतुष्ट हूं, आर्थिक स्थिति से ये कोई मुद्दा ही नहीं है, लेकिन संकट तो है. इसीलिए बढ़ती बेरोजगारी और नौकरियों के संकट पर घिरी मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए जल्द आर्थिक सर्वेक्षण कराने की तैयारी शुरू की है. यह सर्वेक्षण पहली बार ठेले, रेहड़ी, और अपना रोजगार करने वाले लोगों को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए कराया जाएगा और इसको इतनी जल्दी में करना है कि ये जून के आखिरी हफ्ते में ही शुरू हो सकता है.
'आजतक' को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इसका मकसद देश में सात करोड़ असंगठित रोज़गारों की स्थिति जनवरी, 2020 तक यानी छह महीने में साफ कर देना है. सरकार इन आंकड़ों के आधार पर रोज़गार को लेकर भविष्य की रणनीति तैयार करेगी और इस काम के लिए बनी कमेटी में प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण समेत 10 मंत्री हैं. ये समिति बेरोजगारी के मुद्दे पर भी काम करेगी.
वैसे 30 मई को दूसरी बार हिंदुस्तान की बागडोर संभालने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने जो पहली कैबिनेट बैठक बुलाई उसमें ताबड़तोड़ कई बड़े बड़े फैसले लिए गए. इसमें फैसला लिया गया कि श्रमिक सम्मान योजना के तहत संगठित मजदूरों, किसानों और छोटे व्यापारियों को 3000 प्रति महीना पेंशन मिलेगी. इसके लिए 18 साल की उम्र में उन्हें 55 रुपये महीना देना होगा जबकि 29 साल की उम्र में 100 रुपये.
हालांकि चुनाव से पहले और चुनाव के बाद भी बीजेपी ये कहती रही कि बेरोजगारी कोई मुद्दा नहीं है क्योंकि इसका समाधान कर लिया गया है. अमित शाह ने कहा था कि बेरोजगारी और महंगाई पर कोई चर्चा नहीं क्योंकि हमने उसपे बहुत काम किया है. लेकिन सच्चाई कई बार दूसरा आईना भी दिखाती है.
बेरोजगारी बड़ी चुनौती
पिछले साल फरवरी में राज्यसभा में दिए गए सरकार के एक बयान के मुताबिक केंद्र और राज्य सरकारों में करीब 24 लाख पद खाली पड़े हैं. इनमें सिर्फ शिक्षा महकमे में ही दस लाख से ज्यादा पद खाली हैं. पुलिस महकमे में 5 लाख 40 हजार, रेलवे में 2 लाख 40 हजार, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के 2 लाख 20 हजार, स्वास्थ्य केंद्रों में डेढ़ लाख, सेना में 62084, अर्धसैनिक बलों में 61509, डाक विभाग में 54 263, एम्स में 21 हजार 740 और अदालतों में 5853 पद खाली पड़े हैं.
बहरहाल, सभी मंत्रियों के सामने प्रधानमंत्री ने लक्ष्य और चुनौतियां साफ कर दी हैं. देश को तेज गति से विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए जो भी जरूरी है, उसे फौरन किया जाए.
विकास में तेजी के लिए सरकार की तेज चाल
-तीन दिन के भीतर तीन कैबिनेट कमेटियों का गठन किया गया है
-पहली कैबिनेट कमेटी निवेश में तेजी लाने के लिए पर बनाई गई है
-इस कमेटी में नितिन गडकरी, सीतारमन और पीयूष गोयल शामिल
-दूसरी कमेटी रोजगार के अवसरों में बढ़ावा देने के लिए बनाई गई
-इस कमेटी में भी खुद प्रधानंत्री और अमित शाह समेत 10 मंत्री होंगे
-तीसरी कमेटी स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रमों में तेजी के लिए बनाई गई
रिकॉर्ड बेरोजगारी पर फिक्रमंद हैं मोदी
-पहली बार रेहड़ी-पटरी और स्वरोजगार पर आर्थिक सर्वेक्षण होने वाला है
-जून में शुरु होने वाले इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट जनवरी 20120 तक आएगी
-इसके बाद असंगठित क्षेत्र में लगे 7 करोड़ लोगों पर नीति बनाई जाएगी
नितिन गडकरी का पांच साल का ब्लूप्रिंट
-अगले 5 साल में हाईवे में 15 लाख करोड़ का निवेश
-225 अटकी परियोजनाओं को 100 दिन में चालू करेंगे
-खादी और लघु उद्योग उत्पादों का वैश्विकरण करेंगे
-शहद और सहजन जैसी चीजों का बाजार तलाशेंगे
फिलहाल, दूसरी बार में मोदी सरकार ने तय कर लिया है कि वह न सिर्फ हर हाथ को काम दे देगी बल्कि अगले पांच साल में हर होठों तक पीने का साफ पानी भी पहुंचाएगी. इस बार प्रधानमंत्री के काम करने का अंदाज भी बदला हुआ है. इस बार उनकी निगाहें सिर्फ और सिर्फ नतीजों पर हैं, और मंत्रियों के हर काम और उसके अंजाम पर पहले दिन से निगरानी कर रहे हैं.
हिमांशु मिश्रा