बिहार के गया जिले में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के 6 नेताओं समेत अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज किया गया है. इन नेताओं पर सामूहिक बलात्कार की नाबालिग पीड़ित की पहचान को उजागर करने और सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप है.
आरजेडी की जांच टीम शुक्रवार को गया गई थी जहां बुधवार रात में पति के सामने पत्नी और बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार की दिल दहला देने वाली घटना सामने आई थी. अपराधियों ने लूटपाट के दौरान इस घटना को अंजाम दिया.
पीड़ित परिवार को न्याय मिला या नहीं इसको देखने आरजेडी की टीम गया पहुंची. इसका नेतृत्व आरजेडी विधायक और पूर्व मंत्री आलोक मेहता कर रहे थे.
आलोक मेहता ने 'आजतक' से बातचीत में पुलिस के तमाम आरोप को खारिज किया और कहा जो घटना घटी है उससे ध्यान भटकाने के लिए यह सारी मनगढ़ंत कहानियां बनाई जा रही हैं और यह आरोप लगाकर केस में फंसाया जा रहा है.
मेहता ने कहा सरकार ने जो भी आरोप लगाए हैं उनको मैं सिरे से खारिज करता हूं और हमारी पार्टी की ओर से लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव की भावना को लेकर हम पीड़िता के परिवार को पहुंचाने गए थे. उनके प्रति सद्भावना और संवेदनशीलता के साथ हम लोगों ने उनसे मुलाकात की.
आलोक मेहता ने कहा कि असल स्थिति का अध्ययन करना हमारी जिम्मेदारी है क्योंकि सरकार अपने आपको बदनामी से बचाने के लिए कुछ भी कर सकती है. विपक्ष में होने के नाते यह हमारा फर्ज है कि हम असल स्थिति की जांच करें.
मेहता ने कहा कि हम लोग जब वहां गए तो हमें पता चला कि लड़की का मेडिकल नहीं हुआ और जांच से पहले एडीजी का बयान आया कि लड़की के साथ कुछ नहीं हुआ है. कोई बलात्कार नहीं हुआ है.
आलोक मेहता ने कहा कि हम पीड़िता के पिता और माता से भी अलग से मिले. हम घटनास्थल पर भी गए. उनका कहना है कि जांच केवल पुलिस नहीं कर सकती है. हम भी जांच कर सकते हैं और हम पुलिस की मदद के लिए ही आए थे.
सुजीत झा / देवांग दुबे गौतम