अगले सोमवार तक नज़रबंद ही रहेंगे पांचों वामपंथी विचारक, SC में टली सुनवाई

पांच वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी के बाद से ही इस मसले पर राजनीतिक विरोध हुआ था. कई विपक्षी दलों ने सरकार पर लोगों की आवाज़ दबाने का आरोप लगाया था.

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वामपंथी विचारक अरुण फेरेरा (पीटीआई फोटो) वामपंथी विचारक अरुण फेरेरा (पीटीआई फोटो)

पॉलोमी साहा

  • नई दिल्ली,
  • 12 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 12:45 PM IST

भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामलों में गिरफ्तार किए गए 5 वामपंथी विचारक अगले सोमवार तक नज़रबंद ही रहेंगे. सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को इस मामले की सुनवाई होनी थी, लेकिन ये टल गई. अब अगली सुनवाई 17 सितंबर यानी सोमवार को होगी.

सीनियर वकील आनंद ग्रोवर ने कहा कि गिरफ्तार सुरेंद्र गडलिंग खुद का पक्ष रखना चाहते हैं, उनके पास 25 साल का अनुभव भी है. लेकिन उन्हें इजाजत नहीं दी गई. इससे पहले भी 6 सितंबर को सुनवाई टल गई थी.

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बता दें कि देश के कई हिस्सों में छापेमारी कर पुलिस ने 5 वामपंथी विचारकों- सुधा भारद्वाज, वरवरा राव, गौतम नवलखा, अरुण फेरेरा और वेरनॉन गोंजाल्विस को गिरफ्तार किया था. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्हें हाउस अरेस्ट में रखा गया था.

पुलिस को लगी थी फटकार

सुप्रीम कोर्ट इस मामले में महाराष्ट्र पुलिस को फटकार लगा चुका है. पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने सख्त लहजे में टिप्पणी की थी.

जस्टिस चंद्रचूड़ का कहना था कि पुणे पुलिस ने कैसे कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए. दरअसल, पुणे पुलिस के असिस्टेंट कमिश्नर शिवाजी पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि उच्चतम न्यायालय को इस केस में दखल नहीं देना चाहिए.

गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए अपने हलफनामे में दावा किया था कि पांच वामपंथी कार्यकर्ताओं को विरोध के कारण नहीं बल्कि प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) से उनके संपर्कों के बारे में ठोस सबूत के आधार पर गिरफ्तार किया गया है.

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