अयोध्या केस: सुब्रमण्यम स्वामी से बोले CJI- कल मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में ही रहें

Ayodhya Case अयोध्या मसले पर सुनवाई से ठीक एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी को कोर्ट में उपस्थित रहने को कहा है. मंगलवार को चीफ जस्टिस की अगुवाई में पांच जजों की बेंच राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले को सुनेगी.

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सुब्रमण्यम स्वामी (फाइल) सुब्रमण्यम स्वामी (फाइल)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 11:42 AM IST

अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई होनी है. सुनवाई से पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी के लिए नया आदेश जारी किया है. CJI की तरफ से स्वामी को सुनवाई के दौरान कोर्ट में उपस्थित रहने को कहा गया है. आपको बता दें कि सुब्रमण्यम स्वामी ने अयोध्या में पूजा करने की इजाजत मांगी थी.

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सोमवार को सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में अपना केस मेंशन किया, जहां उन्होंने कहा कि उन्हें अयोध्या में मौजूद रामजन्मभूमि में पूजा का अधिकार है. जिसपर CJI ने उन्हें मंगलवार को होने वाली सुनवाई में उपस्थित रहने को कहा.

गौरतलब है कि इससे पहले भी सुब्रमण्यम स्वामी अयोध्या मसले पर जल्द सुनवाई करने की अपील करते हुए याचिका दायर कर चुके हैं, जिसपर सुप्रीम कोर्ट से उन्हें फटकार भी लगी थी. तब कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि वह मामले में पक्षकार नहीं हैं, इसलिए इस प्रकार की अपील ना करें.

सुप्रीम कोर्ट में इस मसले की सुनवाई बीते काफी समय से चल रही है, पिछली बार (29 जनवरी) को जस्टिस एसए बोबडे के उपस्थित ना होने की वजह से सुनवाई नहीं हो पाई थी. अब 26 फरवरी को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में मामले की सुनवाई होगी. पांच जजों की बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस एसए बोवडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अब्दुल नज़ीर शामिल हैं.

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किस मामले पर होनी है सुनवाई?

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या की 2.77 एकड़ भूमि विवाद से संबंधित मामले में कुल 14 अपीलें दायर की गई हैं. ये सभी अपीलें 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं. 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में विवादित भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच बराबर बांटने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मई, 2011 को स्टे का ऑर्डर दिया था.

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