सिटीजनशिप एक्ट पर राम माधव बोले- असम के हितों की रक्षा होगी, कानून का करें स्वागत

राम माधव का कहना है कि असम में जो हिंसा का माहौल दिख रहा है वह दुर्भाग्यपूर्ण है. असम की जनता को गृहमंत्री स्पष्ट आश्वासन देना चाहते हैं. यह बिल किसी राज्य या समूह के लोगों के खिलाफ भी नहीं है.

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बीजेपी महासचिव राम माधव बीजेपी महासचिव राम माधव

अशोक सिंघल

  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 7:53 AM IST

  • असम के हितों की रक्षा के लिए सरकार प्रतिबद्ध- राम माधव
  • 'यह बिल ऐतिहासिक है, असम के लोगों को इसका स्वागत करना चाहिए'

सिटीजन अमेंडमेंट बिल को लेकर नॉर्थ ईस्ट खासतौर से असम में हो रही हिंसा और विरोध को लेकर बीजेपी महासचिव राम माधव ने साफ किया है कि यह बिल ऐतिहासिक है. इससे किसी भी राज्य या समुदाय का अहित नहीं होगा. उन्होंने कहा, 'खासतौर से असम के लोगों को मैं आश्वस्त करना चाहता हूं और हमारे गृह मंत्री अमित शाह ने भी आश्वस्त किया है कि जो असम अकॉर्ड का क्लोज सिक्स है, उसको हम इंप्लीमेंट करने की प्रोसेस में हैं.'

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असम के लोग करें बिल का स्वागत

उन्होंने कहा, 'असम के लोगों के जो भी इंटरेस्ट है, उनकी जो परंपरा है, संस्कृति है, उनके जो अधिकार हैं, उनको राज्य और केंद्र सरकार मिलकर प्रोटेक्ट करेगी. उनको किसी प्रकार की चिंता करने की जरूरत नहीं है. यह बिल किसी भी प्रकार से उनके खिलाफ नहीं है. असम के लोगों को इसका स्वागत करना चाहिए और किसी भी के बहकावे में प्रोपेगेंडा में नहीं आना चाहिए.'

राम माधव का कहना है कि इस ऐतिहासिक बिल को संसद के दोनों सदनों में पास किया गया है. मोदी जी के नेतृत्व में गृह मंत्री अमित शाह इस बिल को लाए हैं. अब एक्ट बनने बाद देश के अंदर लाखों की संख्या में पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान से विस्थापित होकर के यहां शरणार्थी हुए थे जो भारत में आए हैं, दशकों से इस देश में रह रहे थे उनको बहुत राहत मिलेगी.

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असम हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण

राम माधव का कहना है कि असम में जो हिंसा का माहौल दिख रहा है वह दुर्भाग्यपूर्ण है. असम की जनता को गृहमंत्री स्पष्ट आश्वासन देना चाहते हैं कि यह बिल किसी राज्य या समूह के लोगों के खिलाफ नहीं है. असम की भाषा, उनकी संस्कृति को बचाने के लिए हमारी सरकार कटिबद्ध है. उसके लिए उस दिशा में हम काम कर रहे हैं. किसी प्रकार के दुष्प्रचार में आने की जरूरत नहीं है. असम के लोगों को शांति बनाए रखें और इस बिल का अच्छा परिणाम होगा उसका स्वागत करना चाहिए.

सोनिया गांधी की ओर से इसे काला दिन बताने पर राम माधव का कहना है कि सोनिया गांधी और विपक्ष को समझना चाहिए. इस देश का इतिहास रहा है जो धार्मिक उत्पीड़न के शिकार रहे हैं. पहले भी हमने उनको आश्रय दी है, आजादी के बाद भी जो लोग भारत में आए थे उन्हें भी आश्रय देने का सरकार ने वादा किया था. इंदिरा गांधी ने भी बांग्लादेश युद्ध के समय भी बाहरी लोगों को आश्रय दी थी.

शरणार्थी को मिलेगा न्याय

आगे उन्होंने कहा, 'यह हमारा इतिहास रहा है. भारत में आए शरणार्थियों में ऐसे हिंदु, बौद्ध, क्रिश्चियन, जैन, सिख, उनको न्याय पहले भी मिल सकता था पर उस वक्त उनको न्याय नहीं मिला. लेकिन अब हमारी सरकार ने उनके हित के लिए कदम उठाया है. उनको देश का नागरिक बनाएंगे. उनको नागरिक बनाने में पिछली सरकारों को रुचि दिखानी चाहिए थी. यह काम हमने पूरा किया है. ऐसे करोड़ों भारत में रहने वाले शरणार्थी हैं जिनको राहत देने के लिए सरकार ने कदम उठाया है.'

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बिल को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के मुद्दे पर राम माधव का कहना है कि हम तमाम कानूनी पहलुओं को देखते हुए यह बिल लाए हैं. ऐसा कुछ नहीं है जिससे कोई परेशानी हो. कोर्ट में कोई भी जा सकता है.

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