लोकसभा में गुरुवार को विपक्ष के विरोध के बीच तीन तलाक से जुड़ा संशोधित बिल पास हो गया. मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2018 पर ऑल इंडिया मजलिस-ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कई संशोधन प्रस्ताव पेश किए, लेकिन सभी खारिज हो गए. इससे पहले बिल पर चर्चा के दौरान उन्होंने तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में लाने के लिए मोदी सरकार को घेरा और आरोप लगाया कि हुकूमत के इरादे नेक नहीं है.
बिल पर चर्चा के दौरान असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र की मोदी सरकार की सख्त लहजे में आलोचना की और इस बिल को संविधान के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा, 'मैं मुसलमानों की तरफ से कहना चाहता हूं कि देश की हर मुस्लिम महिला इस बिल का विरोध करती है. मैं इसलिए इस बिल की मुखालफत करता हूं कि क्योंकि यह देश के संविधान के खिलाफ है.'
तीन तलाक पर ही सजा क्यों?
असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ जहां धारा 377 को अपराध के बाहर कर समलैंगिक संबंधों को जायज ठहराया जाता है, वहीं जहां एक महिला और एक पुरुष साथ में रहते हैं उससे जुड़े मामले को अपराध की श्रेणी में ला दिया गया है. ओवैसी ने कहा, 'मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि आपकी कौन सी मजबूरी है कि 377 को अपराध से बाहर कर दिया गया और तीन तलाक का अपराधीकरण कर रहे हैं.'
इससे आगे उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने अडल्टरी का कानून लागू करने के लिए कहा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे डिक्रिमिनलाइज कर दिया. ओवैसी ने तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में लाने का विरोध करते हुए कुछ और उदाहरण भी दिए. उन्होंने कहा, 'अगर हिंदू समाज में कोई तलाक होता है तो उसके लिए 1 साल की सजा का प्रावधान है, लेकिन मुसलमानों के लिए 3 साल की सजा का प्रावधान किया जा रहा है, ऐसा क्यों है?
ओवैसी ने अपनी बात को मजबूती देते हुए ये भी कहा कि एक पुरुष कई औरतों के साथ अफेयर कर सकता है, वो अब गुनाह नहीं है. लेकिन कोई पुरुष तीन तलाक कहेगा तो तीन साल की सजा होगी, जबकि कोर्ट ने साफ कह दिया है कि ऐसा कहने से शादी नहीं टूटती. जब शादी नहीं टूटती तो किस बात की सजा दी जाएगी?
इससे आगे ओवैसी ने कहा कि अगर कोई गाड़ी से टक्कर मारता है और हादसे में कोई मर जाता है तो 2 साल की सजा दी जाती है, लेकिन 3 तलाक के लिए 3 साल की सजा दी जा रही है. ओवैसी ने 3 तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर भी मोदी सरकार के मंत्री को घेरा. उन्होंने कहा, 'मंत्री जी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 3 तलाक को गैरकानूनी करार दिया. कोर्ट के जजमेंट का कौन सा हिस्सा है, वो बता दीजिए मंत्री जी.'
सबरीमाला पर भी बोले ओवैसी
ओवैसी ने आगे कहा, 'सबरीमाला पर फैसला आया तो मान्यता का हवाला दिया गया और कोर्ट के फैसला का विरोध किया गया. तो क्या हमारा यकीन नहीं है. हुकूमत के इरादे नेक नहीं है. इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रैक्ट है. इसलिए आप कानून में लिखिए कि अगर कोई तीन तलाक देगा तो महर का तीन गुना आपको देना पड़ेगा. लेकिन आपको महिलाओं से मोहब्बत नहीं है, आपका (सरकार) मकसद सिर्फ जेल भिजवाना है.'
कानून से नहीं होगा सुधार
असदुद्दीन ओवैसी ने कुछ और उदाहरण देते हुए यह भी बताने का प्रयास किया कि कानून से सामाजिक कुरीतियां खत्म नहीं होती हैं. पहले से ही कई कानून मौजूद हैं, लेकिन कोई बदलाव नहीं आया है. ओवैसी ने बताया, 'मुल्क में 84 प्रतिशत 10 साल की हिंदू बच्चियों की शादियां हो रही हैं. कानून होने के बावजूद भी नहीं रुक पा रही हैं.' यह उदाहरण देते हुए ओवैसी ने अपने भाषण के अंत में कहा कि कानून, दबाव और जोर से हम अपने मजहब को नहीं छोड़ेंगे और जब तक दुनिया बाकी रहेगी हम मुसलमान बनकर शरीअत पर चलते रहेंगे, इसलिए हम इस बिल को रिजेक्ट करते हैं.
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