जेटली ने NPA पर राहुल गांधी को घेरा, कहा- झूठ फैला रहे क्लाउन प्रिंस

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सोशल मीडिया के जरिए एक-दूसरे पर निशाना साधने का मौका नहीं गंवाते हैं. इस बार जेटली ने राहुल को क्लाउन प्रिंस करार देते हुए उन पर तीखा प्रहार किया है.

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अरुण जेटली (फाइल) अरुण जेटली (फाइल)

सुरेंद्र कुमार वर्मा

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  • 20 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 6:27 PM IST

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का ब्लॉग के जरिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमले लगातार जारी हैं. राहुल गांधी को क्लाउन प्रिंस (मूर्ख राजकुमार) करार देते हुए लगातार झूठ फैलाने का आरोप लगाया. वह राफेल और एनपीए पर लगातार झूठ फैला रहे हैं और यह उनकी झूठ का प्रसार करने की रणनीति का हिस्सा है.

जेटली ने अपने ब्लॉग में लिखा कि कम से कम उनके हाल के बयानों और भाषणों के आधार पर ऐसा ही दिखता है. राफेल डील मामले में मेरी ओर से उठाए गए किसी भी सवाल का जवाब उन्होंने (राहुल गांधी ) नहीं दिया. एक परिपक्व लोकतंत्र में जो इस तरह के झूठ फैलाता है उसे सार्वजनिक जीवन के लिहाज से अनुपयुक्त माना जाता है. बहुत से लोगों की राजनीतिक गतिविधि खत्म हो गई क्योंकि वे झूठ बोल रहे थे. लेकिन यह सिद्धांत वंशानुगत संगठन (कांग्रेस) पर लागू नहीं होता.

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उन्होंने आगे लिखा कि राहुल 2 झूठ बोल रहे हैॆं. राफेल डील को लेकर उनका पहला सबसे बड़ा झूठ था, दूसरा सबसे बड़ा झूठ जिसे खूब फैलाया गया वह था कि मोदी ने 15 उद्योगपतियों के 2 लाख 50 हजार करोड़ रुपए कर्ज माफ कर दिया. राहुल गांधी की ओर से इस संबंध में बार-बार इस्तेमाल किया गया हर शब्द झूठ है. राहुल उस रणनीति पर काम कर रहे हैं जहां एक झूठ बनाया जाता है और उसे बार-बार कहा जाता है.

जेटली ने फेसबुक पर ब्लॉग पोस्ट करते हुए लिखा कि पहला, ये रकम 2014 से पहले बैंकों की ओर से माफ कर दिए गए थे. दूसरा, यूपीए सरकार के कार्यकाल में डिफाल्ट के अतिरिक्त इन कर्जों को छुपाया गया. आज यूपीए के नेता दावा कर रहे हैं कि वो जब सत्ता से बाहर हुए थे तब नॉन परफार्मिंग एसेट्स (एनपीए) 2.5 लाख करोड़ रुपए था. जबकि सच्चाई यही है कि एनपीए को कालीन के नीचे छुपा कर रखा गया.

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2015 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने इन एसेट क्वालिटी रिव्यू (एक्यूआर) कराया था, जिसमें पता चला कि उस दौर में एनपीए वास्तव में 8.96 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया था और इस कीमत को छुपाया गया.

तीसरा, एनपीए की रिकवरी या इसमें कमी लाने के लिए किसी भी तरह का कोई कदम नहीं उठाया गया. 2014-15 के बाद एनपीए बढ़ गया क्योंकि ज्यादातर पैसा उधार पर दे दिया गया था और इस कारण पुराने कर्जों के ब्याज दर बढ़ गया था. कुछ डिफाल्टरों को अपनी कमी छुपाने के लिए फिर से मदद की गई और इसे भी छुपाया गया.

इस संबंध में सबसे प्रभावकारी कदम इनसोल्वेंसी एंड बैंकरप्टी कोड (आईबीसी) के जरिए उठाया गया. इसके जरिए भारत में कर्जदार और ऋणदाता के बीच संबंधों में अंतर आ गया. आईबीसी के आने के बाद ऋणदाता नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) जा सकती है.

वित्त मंत्री जेटली ने सोशल मीडिया के जरिए राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि आपने राफेल पर झूठ बोला और अब एनपीए पर झूठ बोल रहे. पब्लिक डिस्कोर्स एक गंभीर ऐक्टिविटी है और यह लाफ्टर चैलेंज नहीं है. इसे आप गले लगने, आंख मारने या इस तरह के लगातार झूठ बोलने तक सीमित नहीं कर सकते.

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