बदरुद्दीन अजमल बोले- आर्मी चीफ से चाय-मिठाई पर करूंगा चर्चा, बताऊंगा तथ्य

AIUDF के मुखिया बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि वे सेना प्रमुख से मिलकर उन्हें 'तथ्यों से अवगत कराना' चाहते हैं.

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बदरुद्दीन अजमल और सेना प्रमुख बिपिन रावत बदरुद्दीन अजमल और सेना प्रमुख बिपिन रावत

दिनेश अग्रहरि

  • नई दिल्ली,
  • 01 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 2:27 PM IST

असम में AIUDF के BJP से भी तेज बढ़ने के सेना प्रमुख के बयान के एक हफ्ते बाद अब AIUDF के मुखिया बदरुद्दीन अजमल ने उनके साथ चाय और मिठाई के साथ चर्चा करने की पेशकश की है. उन्होंने कहा कि वे सेना प्रमुख से मिलकर उन्हें 'तथ्यों से अवगत कराना' चाहते हैं.

बदरुद्दीन अजमल लोकसभा के सांसद हैं. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, उन्होंने दिल्ली में कहा, 'मैं उनसे मिलूंगा, मैं उनके साथ चाय पिऊंगा, मिठाई खाऊंगा, भले मुझे डायबिटीज है. मैं उन्हें AIUDF के बारे में तथ्यों को बताऊंगा. हम जो कुछ हैं और जो करते हैं, उसको लेकर मुझे कोई अपराध बोध नहीं है. उन्हें तथ्यों के बारे बताना होगा.'

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गौरतलब है कि 21 फरवरी को दिल्ली में आयोजित एक सेमिनार में सेना अध्यक्ष बिपिन रावत ने कहा था कि पूर्वोत्तर में AIUDF तेजी से आगे बढ़ रही है. बीजेपी का आज तक का जो सफर रहा है उसके मुकाबले एआईयूडीएफ का विकास ज्यादा तेजी से हुआ है. एआईयूडीएफ असम में मुस्लिमों की आवाज उठाने वाली पार्टी है और इसके मुखिया इत्र व्यापारी बदरुद्दीन अजमल हैं.  

सेना प्रमुख ने कहा था कि असम में AIUDF जिस तरह से बढ़ रही है उसके निहितार्थ के बारे में हम सबको सोचना होगा. सेना प्रमुख के इस बयान के आते ही उनके पक्ष और विपक्ष में तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं ने बयान दिए थे.

असम में मौलाना बदरुद्दीन अजमल की सियासी अहमियत के जबरदस्त उभार के पीछे उनकी अपनी सियासी सूझबूझ के अलावा राज्य के हालात का भी अच्छा-खासा योगदान है. असम भारत का एक ऐसा राज्य है, जहां करीब 34 फीसदी आबादी मुसलमानों की है. इस आबादी में असमिया मुसलमान और बांग्लादेश से आकर असम में बसे मुसलमान दोनों शामिल हैं.

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असम के 2006 के चुनाव के बाद बदरुद्दीन अजमल ने पलटकर नहीं देखा और प्रदेश की सियासत में बढ़ते गए. तीन साल के बाद 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में खुद चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. 2011 के असम विधानसभा चुनाव में AIUDF के 18 विधायक जीतने में कामयाब रहे.

इसके पहले बदरुद्दीन अजमल ने सेना प्रमुख बिपिन रावत के बयान पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा था कि वे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से मिलने का समय मांगेंगे और उनकी पार्टी के विधायकों का प्रतिनिधिमंडल इनसे मिल कर अपनी बात रखेगा. उन्होंने मंगलवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर उन्हें दो पेज का ज्ञापन भी दिया.

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