भारतीय वायुसेना ने ग‍िराया था ये बम ज‍िससे मची PAK में तबाही

बताया जा रहा है क‍ि भारतीय वायुसेना ने पाक‍िस्तान और पाक अध‍िकृत कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के तीन ठ‍िकानों  बालाकोट, चकोटी और मुजफ्फराबाद पर चार बम ग‍िराए गए ज‍िनका कुल वजन 1,000 क‍िलोग्राम है. पाक‍िस्तान पर ग‍िराया गया बम GBU 12 Paveway II है जो एक गाइडेड बम यून‍िट है. कारग‍िल वार में भी इस बम का इस्तेमाल होना था लेक‍िन हुआ नहीं.

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प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

aajtak.in

  • नई द‍िल्ली,
  • 27 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 10:36 AM IST

मंगलवार को पाक‍िस्तानी इलाकों में भारत ने हवाई हमला क‍िया ज‍िसमें 300 से ज्यादा आतंकी मारे गए. इसमें ज‍िस बम का इस्तेमाल क‍िया गया वह अमेरिका में बना था. ये काफी सटीक टारगेट को ह‍िट करने के ल‍िए जाना जाता है. इसका इस्तेमाल कारग‍िल वार में भी होना था. तब परमाणु परीक्षण के कारण लगे बैन के कारण इसके पार्ट अमेर‍िका और ब्र‍िटेन से नहीं आ पाए थे, इसल‍िए इस बम का इस्तेमाल नहीं हुआ था.

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पाक‍िस्तान पर ग‍िराया गया बम GBU 12 Paveway II है जो एक गाइडेड बम यून‍िट है. इसमें एक बम करीब 225 क‍िलोग्राम (500 lb) का था. इस बम को सबसे पहले अम‍ेर‍िका ने 1976 में इंट्रोड्यूस क‍िया था. एक यून‍िट में 4 या 5 बम होते हैं. बताया जा रहा है क‍ि भारतीय वायुसेना ने पाक‍िस्तान और पाक अध‍िकृत कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के तीन ठ‍िकानों  बालाकोट, चकोटी और मुजफ्फराबाद पर चार बम ग‍िराए गए ज‍िनका कुल वजन करीब 1,000 क‍िलोग्राम है. इसमें बालाकोट,  पाकिस्तान के खैबर  पख्तूनख्वाह में है. ये इलाका पाकिस्तान में पड़ता है और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर का हिस्सा नहीं है. ये बम एक लेजर गाइडेड म‍िसाइल से छोड़े गए थे.

एक बम की कीमत करीब 14 लाख रुपये होती है. बमों की कुल कीमत 56 लाख से 73 लाख रुपये तक है. ये अपने टारगेट को 88 फीसदी तक ह‍िट करता है.

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इस बम की दो जनरेशन हैं. GBU-12 LGBs: Paveway I में व‍िंग फ‍िक्स्ड  रहते हैं जबक‍ि GBU-12 LGBs: Paveway II  में फोल्ड‍िंग व‍िंग रहते हैं. Paveway II ज्यादा ड‍िटेक्टर सेंसिट‍िव है, वजन और कीमत भी कम है. इसमें ऑटो पायलट स‍िस्टम बैंग-बैंग मोड में रहता है. इसकी लंबाई 129 इंच है और वारहैड का डायमीटर 11 इंच का होता है. इसके अंदर Tritonal, PBXN-109 व‍िस्फोटक का इस्तेमाल क‍िया जाता है. 

कारग‍िल वार में भी होना था इस्तेमाल

1999 की कारग‍िल वार के दौरान  इजरायल के पॉड्स के साथ Paveway-II LGB बम इस्तेमाल होने थे. इनके आधे स्पेयर पार्ट अमरीका से आने थे, और आधे ब्रिटेन से. लेकिन 1998 में भारत ने न्यूक्लियर बम टेस्ट क‍िया था. इस वजह से हथियारों के इंपोर्ट पर बैन लगा हुआ था. तब  एयरफोर्स ने तय किया था कि उनकी जगह देसी बम चलाया जाए मतलब एयरफोर्स का पारंपरिक 1000 पाउंड का बम. तब एयरफोर्स ने फ्रांस में बने फाइटर जेट पर इजरायल में बना टार्गेटिंग पॉड लगा कर उसमें एक देसी बम चलाने का प्लान बनाया था.

गौरतलब है क‍ि हिंदुस्तान ने पाकिस्तान के घर में घुसकर मंगलवार तड़के पुलवामा हमले का बदला लिया. बालाकोट से लेकर मुजफ्फराबाद तक जैश के टेरर कैंपों पर भारतीय वायुसेना के मिराज 2000 विमानों ने बमबारी की. आतंक के अड्डों पर बमबारी के लिए मिराज-2000 के 12 फाइटर प्लेनों का इस्तेमाल किया गया था. एयरफोर्स के प्लेनों ने लेजर गाइडेड बम का इस्तेमाल किया. करीब एक हजार किलो विस्फोटक से आतंकी अड्डों को तबाह किया. मिराज फाइटर जेट ग्वाल‍ियर के एयरबेस से उड़े थे.आगरा और बरेली एयरबेस से उड़े थे और 21 मिनट तक टेरर कैंपों पर जमकर बमबारी की.

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ग्वाल‍ियर के महाराजपुरा से तड़के 2.30 बजे से मिराज-2000 रवाना होने लगे थे. मिराज में हवा में फ्यूल भरने के लिए आगरा से रिफ्यूलर आईएल-78 विमान ने भी उड़ान भरी थी. आगरा से रिफ्यूलर इसल‍िए उड़े क्योंक‍ि  बम लेकर उड़ान भरने वाले लड़ाकू विमानों में ईंधन कम लिया जाता है. मिराज को कवर करने के लिए आदमपुर (पंजाब) से जगुआर लड़ाकू विमान भी उड़ान पर थे. आगरा में भी चार अतिरिक्त रिफ्यूलर आईएल-78 को तैयार रखा गया था.

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