BSF जवानों को राहत, सरहद पर बनेंगे एयर कंडीशंड ऑब्जरवेशन पोस्ट

BSF की 56 बटालियन जैसलमेर में कुछ जगहों पर एयर कंडीशन ऑब्जरवेशन पोस्ट बनाए हैं. यहां से BSF के जवान पाकिस्तान की चालबाजियों पर नजर रखेंगे. इस ऑब्जरवेशन पोस्ट के अंदर वह सारी सुविधाएं होंगी जिसके जरिए बीएसएफ का जवान कई घंटों तक इस रेतीले बवंडर के बीच अपनी हिफाजत कर सरहद की सुरक्षा कर सकता है.

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एयर कंडीशन ऑब्जरवेशन पोस्ट में बीएसएफ जवान एयर कंडीशन ऑब्जरवेशन पोस्ट में बीएसएफ जवान

रणविजय सिंह / जितेंद्र बहादुर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 14 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 1:59 PM IST

राजस्थान के कई जि‍ले भयंकर गर्मी की चपेट में हैं. आलम ये है कि जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर जैसे जिलों में दिन का तापमान 50 डिग्री तक पहुंच जा रहा है. इतनी भीषण गर्मी के बावजूद हमारे BSF के जवान सीमा पर डटकर बॉर्डर की सुरक्षा करते हैं. बीएसएफ जवानों को गर्मी से राहत देने के लिए बॉर्डर पर मौजूद ऑब्जरवेशन टावर को एयर कंडीशंड करने का फैसला किया गया है.

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BSF की 56 बटालियन जैसलमेर में कुछ जगहों पर एयर कंडीशन ऑब्जरवेशन पोस्ट बनाए गए हैं. यहां से BSF के जवान पाकिस्तान की चालबाजियों पर नजर रखेंगे. इस ऑब्जरवेशन पोस्ट के अंदर वह सारी सुविधाएं होंगी जिसके जरिए बीएसएफ के जवान कई घंटों तक इस रेतीले बवंडर के बीच अपनी हिफाजत कर सरहद की सुरक्षा कर सकते हैं. जानकारी के मुताबिक फेंसिंग के आसपास हर 3 किलोमीटर की दूरी पर इस तरीके के एयर कंडीशंड ऑब्जरवेशन पोस्ट बनाने का प्लान है जो कि गर्मियों में सक्रिय कर दिया जाएगा.

अभी ऐसे करते हैं गर्मी से बचाव

थार के रेगिस्तान में 50 डिग्री तक गर्मी पड़ना सामान्य बात है. खासकर मई माह हमेशा गरम ही रहता है. ऐसे में जवान पहले से इसके लिए तैयार रहते हैं. ऐसी भीषण गर्मी में भी जवानों की गश्त का काम कभी भी नहीं थमता है. जवानों को यहां गर्मी से बचाने के लिए लगातार ग्लूकोज और नींबू पानी उपलब्ध कराया जाता है, ताकि कोई बीमार ना पड़े. गर्मी से बचाव करने के लिए दो-दो घंटे में ड्यूटी बदली जाती है.

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साथ ही गश्त के लिए ऊंट के बजाय डेजर्ट स्कूटर का उपयोग किया जाता है ताकि जवानों के साथ ही ऊंटों को भी कुछ राहत मिल सके. आंखों पर काला चश्मा लू से बचाता है और पानी की बोतल को बोरे में लपेट कर रखते हैं, ताकि पानी ठंडा रहे. जवान यहां गर्मी से बचने के लिए सिर पर टोपी और कॉटन का फ़टका बांधकर रखता है.

गर्मी से बचने के लिए कई बार आजमाया गया 'कूल जैकेट'

राजस्थान की तपती रेत में BSF के जवानों की ड्यूटी काफी कठिनाई भरी होती है. पिछले कई सालों में कई निजी कंपनियां यहां तक कि डीआरडीओ ने भी शरीर को गर्मी से बचाने के लिए कूल जैकेट बनाकर BSF के जवानों के साथ कई बार टेस्ट किया. लेकिन यह कूल जैकेट पूरी तरीके से BSF के जवानों पर सेट नहीं हुई. क्योंकि कमर के ऊपर जब भी इस कूल जैकेट को जवानों को पहनाया जाता तो ऊपर का हिस्सा कूल जैकेट की वजह से काफी ठंडा हो जाता. बाकी के हिस्से गर्म रहते हैं जिससे ठंडे और गर्म का एहसास शरीर के अलग-अलग भागों पर होता है. इसलिए शुरुआती दौर में कूल जैकेट की टेस्टिंग तो रेतीले इलाकों के लिए की गई लेकिन इसमें खास सफलता नहीं मिली.

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इन कूल जैकेट की ये खासियत है कि इसमें 12 पॉकेट हैं. इनमें फेज चेंज मैटीरियल (पीसीएम) रसायन के पैकेट रखे जाते हैं. ये पीसीएम के पैकेट जवानों के शरीर को करीब छह घंटे तक ठंडा रखने में सहायक होते हैं. इसके बाद इन पीसीएम को वापस डीप फ्रीज में रिचार्ज के लिए रखना होता है. रिचार्ज के बाद दुबारा इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. इन तमाम उलझन भरी तकनीकों की वजह से कूल जैकेट को वह सफलता नहीं मिली. यही वजह है कि अब जैसलमेर के कई इलाकों में एयर कंडीशन ऑब्जरवेशन पोस्ट लगाकर BSF के जवानों को सुविधाएं दी जा रही हैं. इससे उनको गर्मियों में सरहद पर गस्त करने में किसी तरीके की परेशानियों का सामना ना करना पड़े.

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