भारत सरकार ने नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किए जाने वाले लोगों की सूची जारी कर दी है. इस सूची में राजस्थान के सीकर जिले के निवासी किसान सुंडाराम वर्मा का भी नाम है. सीकर के दाता गांव निवासी किसान को पद्मश्री अवार्ड दिए जाने की खबर से किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई.
सुंडाराम को कम पानी में खेती की तकनीक पर काम करने के लिए पद्म अवार्ड के लिए चयनित किया गया है. सुंडाराम ने एक या दो नहीं, बल्कि तीन-तीन बार राजकीय सेवा में चयनित होने के बावजूद सरकारी नौकरी ठुकराकर कृषि को अपना पेशा बनाया. पद्मश्री अवार्ड के लिए अपने नाम की घोषणा होने के बाद सुंडाराम वर्मा ने बताया कि साल 1972 में बीएससी करने के बाद उनका चयन तीन-तीन बार विज्ञान अध्यापक के पद पर हुआ.
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उन्होंने बताया कि सरकारी नौकरी के लिए चयनित होने के बावजूद उन्होंने उसे ठुकराकर कृषि को अपनाया. सुंडाराम ने कृषि के क्षेत्र में शुष्क वानिकी विधि को अपनाकर यह दिखाया कि कम पानी की खपत कर भी किस तरह खेती की जा सकती है. अच्छा उत्पादन किया जा सकता है. वह कम समय में ही क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए.
कनाडा में भी हुए थे सम्मानित
सुंडाराम को इसके लिए राज्य सरकार ने सम्मानित किया और विदेशों में भी उनकी उपलब्धि को सराहा गया. राज्य सरकार ने उन्हें 'वन पंडित' पुरस्कार से सम्मानित किया था. इसके अलावा सुंडाराम को साल 1997 में कनाडा में 'एग्रो बायोडायवर्सिटी अवार्ड' से सम्मानित किया गया था. उन्हें साल 1998 में तब राष्ट्रीय पहचान मिली, जब उन्हें जगजीवन राम किसान पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
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क्या हैं सुंडाराम की उपलब्धियां?
सुंडाराम को यह सम्मान एक लीटर पानी से वृक्षारोपण तकनीक विकसित करने के लिए दिया गया है. उन्होंने एक हेक्टेयर भूभाग में 20 लाख लीटर बारिश के पानी और 15 फसलों की 700 से अधिक प्रजातियों का संग्रहण और संरक्षण किया. इसके अलावा जमीन से जुड़ी तकनीक का संकलन भी सुंडाराम की उपलब्धियों की फेहरिश्त में है.
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