5 महीने से छात्रावास में धूल खा रही स्कूटी, छात्राओं को देने के लिए CM के पास वक्त नहीं

राजस्थान में छात्राओं को वितरित की जाने वाली स्कूटी 5 महीने ही खरीद ली गई है, लेकिन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पास इसके वितरण को लेकर समय ही नहीं है. कहा जा रहा है कि राज्य की बीजेपी सरकार विधानसभा चुनाव के करीब आने का इंतजार कर रही है.

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वसुंधरा राजे (फाइल) वसुंधरा राजे (फाइल)

शरत कुमार / सुरेंद्र कुमार वर्मा / खुशदीप सहगल

  • जयपुर,
  • 29 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 7:47 PM IST

राजस्थान में छात्राओं को वितरित की जाने वाली स्कूटी 5 महीने पहले ही खरीद ली गई है, लेकिन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पास इसके वितरण को लेकर समय ही नहीं है. कहा जा रहा है कि राज्य की बीजेपी सरकार विधानसभा चुनाव के करीब आने का इंतजार कर रही है.

'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ'... बीजेपी के इस नारे को लेकर राजस्थान में खुद इसी पार्टी की सरकार कितनी गंभीर है, इसका नजारा जयपुर जिले में देखने को मिल रहा है. यहां पिछले पांच महीने से आदिवासी छात्राओं को बांटी जाने वाली स्कूटी धूल खा रही हैं, लेकिन राज्य सरकार के पास उन्हें बांटने के लिए वक्त ही नहीं निकल पा रहा.

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जिम्मेदार लोग कह रहे हैं कि राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे से वक्त मांगा गया है. कोशिश की जा रही है कि सीएम वक्त दे दें तो उन्हीं के हाथों से छात्राओं में स्कूटी बांटी जाएं. वहीं छात्राओं का कहना है कि पढ़ाई पूरी होने को है, लेकिन स्कूटी का इंतजार खत्म नहीं हो रहा.

मार्च में ही खरीद ली गई थी स्कूटी

जयपुर से करीब 45 किलोमीटर दूर बस्सी तहसील के तुंगा गांव में अनुसूचित जनजाति के छात्रावास में कमरों में ठूंस-ठूस कर रखी गई इन स्कूटी को देखकर यही लगता है कि ये किसी कंपनी का गोदाम है. लेकिन हकीकत कुछ और ही है. ये स्कूटी मार्च के महीने में सरकार ने जनजातीय छात्राओं को बांटने के लिए मांड योजना के तहत खरीदी थीं.

स्कूटी तो खरीद ली गई, लेकिन सरकार को इन्हें बांटने के लिए वक्त नहीं मिल पा रहा. इसी वजह से तरह सील करके स्कूटी रखी हुई हैं. खिड़कियां खुली होने की वजह से स्कूटी धूल फांक रही हैं.

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'3-3 लड़के करते हैं सुरक्षा'

स्कूल के प्रधानाचार्य रमेशचंद मीणा स्कूटी सुरक्षित रखने को लेकर अपनी परेशानी गिनाते हैं. उनका कहना है, 'अलग से तीन पारियों में तीन-तीन लड़कों को स्कूटी की सुरक्षा में लगाए रखता हूं. क्या करूं 54,000 रुपए की एक स्कूटी है, एक भी इधर-उधर हो गई तो जिम्मेदारी हमारे ऊपर आएगी.'

सरकार के नियम के मुताबिक 65 फीसदी नंबर लाने वाली आदिवासी लड़कियों को स्कूटी मिलती है. छात्राओं ने 2015 में आवेदन किया हुआ है. स्कूटी के लिए आवेदन करने वाली ममता का कहना है कि 12वीं पास की थी तब स्कूटी मिलनी थी, ग्रेजुएशन के फाइनल में पहुंच गईं मगर स्कूटी नहीं मिली.

मुख्यमंत्री के पास वक्त नहीं

हालांकि अधिकारियों का अब भी यही कहना है कि बहुत जल्दी स्कूटी बांट दी जाएगी. जयपुर जिले में ही आदिवासी छात्राओं को स्कूटी बांटने के लिए करीब 550 स्कूटी खरीद ली गई, लेकिन अभी तक बांटी नहीं गई हैं.

जिला परिषद के अध्यक्ष मूलचंद मीणा कह रहे हैं कि हमने 3 बार मुख्यमंत्री को वक्त देने के लिए लिखा है, लेकिन अभी वक्त नहीं मिला है. जिला परिषद सदस्य बेनी प्रसाद कटारिया का कहना है कि 23 मार्च को लड़कियों को साथ हमने साधारण सभा में ये मामला उठाया था, तब कहा गया था कि जल्दी स्कूटी बांटी जाएंगी मगर आज तक नही बांटी गईं.

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दरअसल नवंबर-दिसंबर में राजस्थान विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में राजनीति के जानकार कह रहे हैं कि बीजेपी स्कूटी बांटने के लिए भव्य कार्यक्रम कराना चाहेगी जिससे कि उसका चुनाव में सियासी लाभ उठाया जा सके. फिलहाल तो जनजातीय छात्राओं को इंतजार है कि कब मुख्यमंत्री को वक्त मिले और कब उनका स्कूटी का इंतजार खत्म हो.

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