राजस्थानः रोजगार विभाग 'बेरोजगार', नौकरी नहीं, भत्ते के लिए लगी लाइन

रोजगार के मामले में देश में दूसरे नंबर पर है, मगर राजस्थान का रोजगार मंत्रालय ही बेरोजगार हो तो बेरोजगारी बढ़नी लाजमी है. रोजगार मंत्रालय के पास बेरोजगारी भत्ता बांटने के अलावा कोई काम नहीं है. हालांकि सरकार के पास उसके लिए फंड नहीं है. खुद रोजगार विभाग में आधे पद खाली पड़े हैं. ग्रेजुएशन से कम पढ़े हैं तो सरकार इन्हें बेरोजगार नहीं मानती है.

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बेरोजगारी भत्ता की जानकारी मांगने पहुंचे युवा बेरोजगारी भत्ता की जानकारी मांगने पहुंचे युवा

शरत कुमार

  • जयपुर,
  • 26 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 12:03 PM IST
  • बेरोजगारी भत्ता के लिए फंड की कमी
  • रोजगार विभाग में आजकल काम नहीं
  • युवा बेरोजगारी भत्ता करते हैं इंतजार

रोजगार के मामले में देश में दूसरे नंबर पर है, मगर राजस्थान का रोजगार मंत्रालय ही बेरोजगार हो तो बेरोजगारी बढ़नी लाजमी है. रोजगार मंत्रालय के पास बेरोजगारी भत्ता बांटने के अलावा कोई काम नहीं है. हालांकि सरकार के पास उसके लिए फंड नहीं है. खुद रोजगार विभाग में आधे पद खाली पड़े हैं. ग्रेजुएशन से कम पढ़ें हैं तो सरकार इन्हें बेरोजगार नहीं मानती है.

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राजस्थान का यह रोजगार विभाग खुद बेरोजगार है क्योंकि करने के लिए कुछ भी नहीं है. काम के नाम पर खाली कुर्सियों हैं और जिन कुर्सियों पर लोग बैठे हैं वो बिना काम के बैठे दिखेंगे. विभाग में काम के नाम पर एक खिड़की है, जिस पर लिखा है कि 10 से 5 बेरोज़गारी भत्ते के लिए यहां संपर्क करें. 

इस खिड़की पर बेरोजगार रोजगार मांगने के लिए नहीं आते हैं बल्कि बेरोजगारी भत्ता पाने के लिए पूछताछ करने आते हैं. सरकार ने 20 फरवरी 2020 के बाद बेरोजगारी भत्ते के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले लोगों को भत्ता दे नहीं रही है. इसलिए खिड़की खुली भी रही तो कोई काम नहीं है. यह कहने की सिवा की इंतजार कीजिए. फिर भी सुबह 10 बजे से बेरोजगार खिड़की खुलने के इंतजार में बैठ जाते हैं यह पता लगाने के लिए कि उनके बेरोजगारी भत्ते का क्या हुआ.

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पूछताछ करते युवा

'आजतक' का कैमरा देखने के बाद खिड़की खुली पर रोजगार विभाग के कर्मचारियों को भी पता नहीं बेरोजगारी भत्ता कब मिलेगा. एम.ए. और बीएड करने के बाद नौकरी की तलाश में बैठे रतनलाल रैगर को बेरोजगारी भत्ते की जरूरत थी. मगर एक साल मिलने के बाद बंद हो गया. रोजगार विभाग भत्ता जारी रखने के लिए मोबाइल पर मैसेज भेजता है और रतनलाल का मोबाइल बंद हो गया है.

योगेश की कहानी!

इस तरह के कई ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट समेत कई डिग्रियां लेकर लोग रोजगार पाने के बजाय बेरोजगारी भत्ते के लिए रोजगार कार्यालय में घूम रहे हैं. मगर वह भी नहीं मिल पा रहा है. एम.ए. किया हुआ योगेश का भत्ता तो इसलिए रुक गया क्योंकि उसने लेबर विभाग में मजदूरी के काम मांगने के लिए केवल नाम लिखवा दिया था.

बेरोजगारी से परेशान

रोजगार निदेशालय का हाल

अब रोजगार निदेशालय की कहानी सुन लीजिए. 2018 में यहां पर 6 लाख 89 हजार 890 बेरोजगारों ने रोजगार के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था. 2019 में यह संख्या बढ़कर 12 लाख 91 हज़ार 752 हो गई. मगर 2020 में तो दिसंबर तक ही जाता है 14 लाख 81 हज़ार 709 हो चुकी है. 

भत्ते का इंतजार

कांग्रेस सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि बेरोजगारों को रोजगार देंगे. इसके लिए कम से कम ग्रेजुएट होना जरूरी है और सामान्य वर्ग के लिए उम्र 30 साल होनी चाहिए महिला और आरक्षित वर्ग के लिए पैतीस साल होनी चाहिए. रोजगार कार्यालय में बेरोजगारी भत्ता पाने के लिए 1 मार्च 2019 से लेकर अब तक करीब ढाई लाख लोगों को बेरोजगारी भत्ता की पूरी या आंशिक किस्तें मिली हैं. लेकिन अभी केवल एक लाख 59 हजार लोगों को ही बेरोजगारी भत्ता मिल रहा है. पहले पहले डेढ़ लाख बेरोजगारों को मिलते थे अब दो लाख हो गया है पर कब लागू होगा पता नहीं. 

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रोजगार कार्यालय में सब 'बेरोजगार'

राजस्थान में फिलहाल रोजगार कार्यालय में 447 पद स्वीकृत हैं जिसमें से 177 खाली पड़े हैं. स्किल डेवलपमेंट में 31 पद हैं जिसमें 37 पद खाली पड़े हैं. दरअसल बेरोजगारी भत्ता ऑनलाइन अप्लाई किया जाता है. ऐसे में इनके पास फ़ार्म चेकिंग के अलावा फिलहाल कोई काम नहीं है. कोई भी विभाग इनसे रोज़गार लायक लोगों की सूची नहीं मांगता है और न ही यह भेजते हैं. यह एक रस्म अदायगी है. इसमें बेरोजगार अपना रजिस्ट्रेशन करा लेता है ताकि सरकार की कोई स्कीम आए तो उसका फायदा मिल सके. देश में पहला महिला रोजगार कार्यालय भी जयपुर में खोला गया था. 61 हजार महिलाओं ने यहां रजिस्ट्रेशन कराया है जिनमें से तीन हज़ार को बेरोज़गारी भत्ता दिया जा रहा है.

पूछताछ करने के लिए इंतजार

रोजगार विभाग का कहना है कि हमने कोरोना में ऑनलाइन रोजगार मेला लगाया था. देश में पूरे साल में 9 हजार लोग शामिल हुए हैं. मगर किसी को नौकरी मिली या नहीं मिली इसकी सूचना इनके पास नहीं रहती है.

इस बीच, राजस्थान के बेरोजगारों ने बेरोजगार संघ बनाकर विधानसभा उपचुनाव में अपना चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है. तीनों विधानसभा उपचुनावों में बेरोजगार घर-घर जाकर सरकार के खिलाफ चुनाव प्रचार कर रहे हैं.

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