अनुच्छेद-370 के दो प्रावधान हटाने और जम्मू-कश्मीर के विभाजन के मुद्दे पर अब राजस्थान के कांग्रेस नेताओं ने भी समर्थन दिया है. अशोक गहलोत सरकार में खेल मंत्री अशोक चांदना के अलावा पूर्व सांसद डॉ ज्योति मिरधा मोदी सरकार के फैसले के साथ खड़े नजर आए. इस मुद्दे पर कांग्रेस में नेताओं के सुर बंटे हुए हैं. एक तरफ तो कांग्रेस संसद में इस फैसले का विरोध कर रही है. वहीं पार्टी के कई नेता इस फैसले के पक्ष में खुलकर बोल रहे हैं.
राजस्थान सरकार में खेल मंत्री अशोक चांदना ने ट्वीट में लिखा, 'ये मेरी निजी राय है. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाना सरकार का पहला फैसला है, जिसका मैं स्वागत करता हूं. लेकिन 370 बदलने का क्रियान्वरण तानाशाही ना होकर शांति और विश्वास के माहौल में होकर इसका अच्छे से निस्तारण हो ताकि भविष्य में देश के किसी नागरिक को कोई समस्या न हो.' वहीं डॉ ज्योति मिरधा ने कहा, देश सबसे पहले. यह सख्त फैसला लेने के लिए सरकार को बधाई देनी चाहिए, जिसके भारत एकजुट होगा.
अशोक चांदना और मिरधा के अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, उत्तर प्रदेश की विधायक अदिति सिंह और अभिषेक मनु सिंघवी ने भी इस कदम का स्वागत किया है. हालांकि, पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और पूर्व कांग्रेस चीफ राहुल गांधी ने इसका विरोध किया.
आजाद ने पार्टी के सहयोगियों की आलोचना करते हुए कहा कि जो लोग जम्मू-कश्मीर और कांग्रेस का इतिहास नहीं जानते हैं, उन्हें पार्टी में नहीं रहना चाहिए. आजाद ने एक बयान में कहा, 'जो लोग जम्मू-कश्मीर और पार्टी के इतिहास को नहीं जानते, मुझे उनसे कोई लेना-देना नहीं है. उन्हें जम्मू-कश्मीर के साथ कांग्रेस के इतिहास को पढ़ना चाहिए. इसके बाद ही उन्हें पार्टी में रहना चाहिए.' वहीं राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कार्यकारी शक्ति का दुरुपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर है. उन्होंने ट्वीट कर जम्मू- कश्मीर के नेताओं की नजरबंदी की भी आलोचना की.
सोमवार को जनार्दन द्विवेदी पहले ऐसे कांग्रेस नेता थे, जिन्होंने मोदी सरकार के फैसले का समर्थन किया. उन्होंने कहा था कि आजादी के बाद की गई गलती को ठीक कर दिया गया है. वहीं हरियाणा कांग्रेस के नेता और रोहतक के पूर्व सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी ट्विटर पर लिखा था, 'मैं पहले ही इस विचार का समर्थन कर चुका हूं कि 21वीं सदी में अनुच्छेद-370 के लिए कोई जगह नहीं है और इसे जरूर हटाया जाना चाहिए'. रायबरेली की विधायक अदिति सिंह ने भी सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया, 'हम एकजुट हैं. जय हिंद. अनुच्छेद-370.'
शरत कुमार