राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बहुमत के मुहाने पर पहुंच गई लेकिन 101 का जादुई आंकड़ा नहीं छू पाई. हालांकि इस बार बड़ी संख्या में कांग्रेस के बागी जीते हैं, लिहाजा कांग्रेस को सरकार बनाने में परेशानी नहीं होनी चाहिए. राज्य में कांग्रेस की सरकार बनता देख पार्टी के जीतने वाले कुछ बागियों ने अपनी घर वापसी के संकेत भी दे दिए हैं.
राजस्थान की 200 सदस्यीय विधानसभा में इस बार 199 सीटों के लिए मतदान हुआ था, जबकि बसपा उम्मीदवार के निधन के बाद रामगढ़ सीट पर वोटिंग टाल दी गई. अंतिम नतीजों में कांग्रेस को 99, बीजेपी को 73, और अन्य को 27 सीटें मिली हैं. राज्य में मुख्यमंत्री चुनने और विधायक दल की बैठक पर नजर रखने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने केरल से सांसद और पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल को पर्यवेक्षक के तौर पर भेजा है.
निर्दलियों की होगी घर वापसी
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कैंप की तरफ से कोशिश की जा रही है कि आलाकमान को समझाया जाए कि राजस्थान में गुर्जर मुख्यमंत्री बनाने की वजह से दूसरी जातियां नाराज हो सकती हैं और खासकर मीणा जो राज्य में बड़ी संख्या में हैं और कांग्रेस के परंपरागत वोटर भी. इसी रणनीति के तहत तीन बागी मीणा विधायक-रामकेश मीणा, कांतिलाल मीणा और लक्ष्मण मीणा को पर्यवेक्षकों के पास राय रखने के लिए भेजा गया है.
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कैंप की तरफ से कोशिश की जा रही है कि आलाकमान को समझाया जाए कि राजस्थान में गुर्जर मुख्यमंत्री बनाने की वजह से दूसरी जातियां नाराज हो सकती हैं और खासकर मीणा जो राज्य में बड़ी संख्या में हैं और कांग्रेस के परंपरागत वोटर भी. इसी रणनीति के तहत तीन बागी मीणा विधायक-रामकेश मीणा, कांतिलाल मीणा और लक्ष्मण मीणा को पर्यवेक्षकों के पास राय रखने के लिए भेजा गया है.
इनके साथ ही कांग्रेस के अन्य बागियों की राय कांग्रेस आलाकमान तक पहुंचाई जाएगी ताकि सचिन पायलट की घेराबंदी की जा सके. साथ ही यह बताने की कोशिश की जाएगी कि पायलट की जिद की वजह से ही इनका टिकट कटा था और यह जीतकर आ सकते थे. दरअसल कोशिश की जा रही है कि अशोक गहलोत की तरफ से आलाकमान के पास मैसेज जाए कि पार्टी के बाहर भी गहलोत को भारी समर्थन हासिल है.
दूदू से जीत कर आए बाबूलाल नागर ने कहा कि अगर राजस्थान में कांग्रेस को लोकसभा में जीत हासिल करना है तो अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए. इसके अलावा दूसरे बागी विधायक रामकेश मीणा ने कह दिया कि अशोक गहलोत के अलावा दूसरा कोई भी उन्हें मंजूर नहीं होगा. जबकि थानागाजी से कांति मीणा और लक्ष्मण मीणा पहले ही गहलोत को समर्थन दे चुके हैं.
शरत कुमार