क्या महागठबंधन दिखाएगा कुशलगढ़ में बीजेपी को बाहर का रास्ता?

शरद यादव राजस्थान में लगातार पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सम्मेलन कर रहे हैं. उन्होंने राष्ट्रीय और राज्य राजनीति के मद्देनजर स्पष्ट तौर पर कहा है कि सभी विपक्षी दलों को अपने निजी हित अलग रखकर एकसाथ आना होगा.

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जेडीयू का गढ़ रही है कुशलगढ़ सीट जेडीयू का गढ़ रही है कुशलगढ़ सीट

जावेद अख़्तर

  • नई दिल्ली,
  • 10 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 3:02 PM IST

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी 'राजस्थान गौरव यात्रा' की शुरुआत मेवाड़-वांगड़ क्षेत्र से की है. बांसवाड़ा जिले की पांच सीटों में एक कुशलगढ़ है. जहां अभी भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है.

बांसवाड़ा जिले के बाकी सभी सीटों के अलावा यह सीट भी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 90 प्रतिशत आदिवासी आबादी है जबकि अनुसूचित जाति यहां करीब 3 फीसदी है.

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2013 विधानसभा चुनाव का रिजल्ट

2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कुल 1,87,836 वोटर्स थे, जिनमें से 1,52,179 लोगों ने अपने मत का इस्तेमाल किया था. यानी इस सीट पर कुल 83.2% मतदान हुआ था.

बीजेपी- 63,979 (42.0%)

कांग्रेस- 63,271 (41.6%)

बीजेपी के टिकट पर भीमा भाई ने चुनाव लड़ा था, जबकि कांग्रेस के टिकट पर हर्टिंग खड़िया मैदान में थे. बीजेपी प्रत्याशी ने कांग्रेस उम्मीदवार को महज 708 वोट के अंतर से हराया था. इस सीट पर जेडीयू उम्मीदवार फतेह सिंह को 15,725 वोट मिले थे और वह तीसरे नंबर पर रहे थे.

2008 चुनाव का रिजल्ट

जेडीयू- फतेह सिंह (37,610) (34.4%)

कांग्रेस- सवलाल (36,653) (33.5%)

बीजेपी- राम चंद्र (13,907) (12.7%)

यानी 2008 में इस सीट पर बिहार की सत्ताधारी पार्टी जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार को जीत मिली थी. जबकि बीजेपी उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे थे और उन्हें महज 13907 वोट मिले थे. इससे पहले 2003 में भी जेडीयू के फतेह सिंह ने बाजी मारी थी.

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महागठबंधन से उम्मीद

जेडीयू में टूट के बाद इस बार मुकाबला त्रिकोणीय के बजाय सीधे बीजेपी और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है. जेडीयू से विधायक रहे फतेह सिंह ने 'आजतक' से बातचीत में बताया कि दो धड़ों में बंटने के बाद पार्टी इलाके में कमजोर हुई और नेता व कार्यकर्ता बिखर गए हैं.

नवगठित लोकतांत्रिक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष फतेह सिंह ने बताया कि वह खुद चुनाव लड़ने पर अभी विचार नहीं कर रहे हैं, लेकिन कोई और उम्मीदवार आता है तो उसका समर्थन करेंगे. उन्होंने महागठबंधन बनने की स्थिति में जीत की उम्मीद भी जताई.

बता दें कि जेडीयू से अलग होने के बाद लोकतांत्रिक जनता दल का गठन किया गया है, जिसके संरक्षक शरद यादव हैं और वह राजस्थान में नेताओं को जोड़ने का काम भी कर रहे हैं. ऐसे में इस सीट पर अगर कांग्रेस और जेडीयू नेता साथ आते हैं तो बीजेपी के लिए कड़ी चुनौती पैदा हो सकती है.

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