गहलोत के बाद अब पायलट की सोनिया से मुलाकात, क्या राजस्थान गतिरोध पर बनेगी बात

राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बाद अब सचिन पायलट शुक्रवार को दोपहर में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से दस जनपथ में मुलाकात करेंगे. राजस्थान कांग्रेस में लंबे समय से चल रहे राजीतिक गतिरोध को खत्म करने के लिए कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व अब पूरी तरह से सक्रिय हो गया है.

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अशोक गहलोत और सचिन पायलट अशोक गहलोत और सचिन पायलट

सुप्रिया भारद्वाज

  • नई दिल्ली ,
  • 12 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:36 AM IST
  • सचिन पायलट शुक्रवार को सोनिया से मिलेंगे
  • सोनिया से मिले गहलोत, कैबिनेट विस्तार पर चर्चा
  • राजस्थान कांग्रेस में क्या खत्म होगा गतिरोध

राजस्थान को लेकर कांग्रेस में मंथन जारी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बाद अब सचिन पायलट शुक्रवार को दोपहर में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से दस जनपथ में मुलाकात करेंगे. राजस्थान कांग्रेस में लंबे समय से चल रहे राजीतिक गतिरोध को खत्म करने के लिए कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व अब पूरी तरह से सक्रिय हो गया है. गहलोत और पायलट के बीच सुलह-समझौता में किसी तरह की देरी नहीं करना चाहता है.  

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दो दिन दिल्ली रहकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात किया. गहलोत ने गुरुवार को सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कहा कि मैंने मंत्रिमंडल विस्तार पर अपना पक्ष रख दिया है. इसके पहले बुधवार को राहुल गांधी के आवास पर गहलोत, प्रियंका गांधी, केसी वेणुगोपाल और अजय माकन के बीच बैठक हुई थी. 

माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान ने सीएम गहलोत को साफ तौर पर कह दिया है कि वे जल्द मंत्रिमंडल का विस्तार करें और सचिन पायलट के लोगों को उसमें शामिल करें. वहीं, अब सचिन पायलट भी दिल्ली दौरे पर पहुंचे हैं, जो दोपहर में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे. इस दौरान पायलट अपना पक्ष और डिमांड कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के सामने रखेंगे. सोनिया के साथ वो कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ भी बैठक करेंगे. इसके में खासतौर से राजस्थान के प्रभारी अजय माकन से उनकी मुलाकात होनी है. 

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सचिन पायलट और अशोक गहलोत के दिल्ली दौरे और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मुलाकात के साथ ही राजस्थान में लंबे समय से प्रस्तावित मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर एक बार फिर अटकलें शुरू हो गई हैं. उम्मीद लगाई जा रही है कि जल्द ही राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल पर फैसला हो जाएगा. मुख्यमंत्री गहलोत और अजय माकन ने इसके संकेत भी दे दिए हैं. 

सचिन पायलट ने बुधवार को कहा कि जिन कार्यकर्ताओं ने पार्टी के लिए खून-पसीना बहाया है, उन्हें मान-सम्मान मिलना चाहिए. विधानसभा चुनाव अब बहुत दूर नहीं हैं. गहलोत के साथ हुई बैठक के बाद राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन ने कहा कि मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द हो सकता है. राजस्थान की पॉलिटिकल सिचुएशन को लेकर चर्चा हुई और काफी कन्फ़्यूजन दूर हुआ है. 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली में कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के साथ मंथन के बाद अब अपने मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करने के लिए राजी हो गए हैं. 200 विधायकों वाले राजस्थान विधानसभा में अधिकतम 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं. अभी गहलोत कैबिनेट में उनके सहित 21 मंत्री हैं. चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा को गुजरात और राजस्व मंत्री हरीश चौधरी को पंजाब का कांग्रेस प्रभारी जिम्मा दिया गया है. 

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वहीं, गहलोत सरकार में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा राजस्थान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद भी जिम्मा संभाल रहे हैं. ऐसे में एक व्यक्ति एक पद के फॉर्मूले के चलते गहलोत सरकार के इन तीनों मंत्रियों को मंत्री और संगठन की जिम्मेदारी में से एक के चुनना होगा. माना जा रहा है कि तीनों ही नेता मंत्री पद छोड़ सकते हैं. ऐसे में वो इस्तीफा देते हैं तो करीब 12 मंत्री पद खाली हो जाएंगे. 

गहलोत राजस्थान की राजनीति के चाणक्य माने जाते हैं. वह कभी भी अपने मंत्रिमंडल की अधिकतम सीमा 30 को पूरा नहीं करेंगे. 2-3 मंत्रियों की जगह जरूर खाली रखना चाहेंगे, जिससे कभी भी असंतोष की स्थिति पनपने पर मंत्रिमंडल में शामिल करने का रास्ता खुला रह सके. ऐसे में कैबिनेट विस्तार में सचिन पायलट गुट के कितने नेताओं को मंत्रियों को जगह मिलेगी, इस पर संस्पेंश बना हुआ है. 

वहीं, पायलट की डिमांड सरकार में पांच मंत्री पद की है. इसके अलावा मलाईदार विभाग की मांग है, क्योंकि 2018 में पायलट ने जिन्हें अपने कोटे से मंत्री बनवाकर अच्छे विभाग दिलाए थे वो सभी गहलोत खेमे में जुड़ गए हैं. इसीलिए अब सुलह-समझौते के फॉर्मूले में पायलट पांच मंत्री पद के साथ विभाग की बेहतर मांग रहे हैं, लेकिन गहलोत तीन मंत्री पद से ज्यादा देने के मूड में नहीं है. गहलोत बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों और निर्दलीय विधायकों को भी एडजस्ट करने की चुनौती है. ऐसे में देखना होगा कि पायलट की सोनिया से मुलाकात के बाद सुलह-समझौते का फॉर्मूला क्या तय होता है.

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