पहलू खान केस: SIT ने खामियों की बात मानी, जांच अधिकारी की बताई लापरवाही

राजस्थान में पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है. जिसमें एसआईटी ने जांच में खामियों की बात मानी है. साथ ही एसआईटी ने जांच अधिकारी की लापरवाही सबसे ज्यादा होने की बात कही है.

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पहलू खान गाय खरीदकर वापस मेवात लौट रहे थे, तभी उन पर हमला किया गया (फाइल फोटो) पहलू खान गाय खरीदकर वापस मेवात लौट रहे थे, तभी उन पर हमला किया गया (फाइल फोटो)

शरत कुमार

  • जयपुर,
  • 05 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 9:50 PM IST

  • पहलू खान मॉब लिन्चिंग मामले में SIT ने सौंपी रिपोर्ट
  • SIT ने माना जांच संदेह के घेरे में
  • लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर गिर सकती है गाज

राजस्थान में पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है. जिसमें एसआईटी ने जांच में खामियों की बात मानी है. साथ ही एसआईटी ने जांच अधिकारी की लापरवाही सबसे ज्यादा होने की बात कही है.

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पहलू खान मामले में एसआईटी रिपोर्ट एडीजी बीएल सोनी ने डीजीपी को सौंप दी है. 80 पन्नों की इस रिपोर्ट में अपनी जांच में एसआईटी ने भी अपनी खामियां मानी हैं. इस रिपोर्ट में साक्ष्य सहित 1 हजार पन्ने की रिपोर्ट सौंपी गई है. पहले की गई जांच में हर स्तर पर कमी है. बुधवार को एसआईटी ने एडीजी को जांच रिपोर्ट सौंपी थी. 

एसआईटी ने मामले की छानबीन कर रहे जांच अधिकारी की सबसे ज्यादा लापरवाही मानी है. इस घटना से जुड़े अहम वीडियो को कोर्ट में पेश नहीं किया गया. एसआईटी ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर संदेह जताया है.

एसआईटी ने साफ किया है कि पकड़े गए आरोपियों से कड़ी पूछताछ नहीं की गई ङै. पूछताछ के वक्त वीडियोग्राफी न किए जाने को एसआईटी ने लापरवाही माना है. अब लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर गाज गिर सकती है.

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बता दें राजस्थान के अलवर में हुए पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कहा था कि इस मामले में जिस तरह से जांच हुई, उससे पुलिस प्रशासन की बदनामी हुई है. सीएम गहलोत ने कहा है कि इस केस में एसआईटी का गठन कर दिया गया है, जल्द ही सच सामने आ जाएगा.

बीते दिनों पहलू खान की मॉब लिंचिंग मामले में एसआईटी ने जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी. रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए थे. एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया था कि जिन सबूतों की कमी के आधार पर आरोपी बरी हो गए थे वे सबूत जांच के दौरान सही-सलामत अवस्था में थे और पुलिस के पास मौजूद थे. मगर जांच अधिकारी और मुकदमे की पैरवी करने वालों ने अधिकारियों ने जान-बूझकर उसे छुपा दिया.

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