शिक्षकों की कमी से जूझ रहे मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूल के शिक्षक इन दिनों विधायक जी के निजी स्टाफ के तौर पर काम कर रहे हैं. सुनकर भले ही आपको हैरानी हो लेकिन यह सच है. एक सवाल के जवाब में खुद सामान्य प्रशासन विभाग मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह ने बताया है कि सरकारी स्कूल के शिक्षकों को विधायक के पर्सनल स्टाफ के तौर पर अटैच किया गया है.
शिक्षकों की कमी से जूझ रहे मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों के शिक्षक इन दिनों स्कूल छोड़ माननीयों के पर्सनल स्टाफ के तौर पर काम कर रहे हैं. इसका खुलासा भी खुद सरकार ने ही किया है. दरअसल हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह ने उन सरकारी शिक्षकों की सूची जारी की जिन्हें विधायकों के निजी स्टाफ के तौर पर अटैच किया गया है. इनमें से ज्यादातर सरकारी शिक्षकों को कांग्रेस विधायकों के साथ अटैच किया गया है.
मध्यप्रदेश में सरकारी शिक्षकों को विधायकों के साथ अटैच करने पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. आजतक ने राजगढ़ और हरदा जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी पर पड़ताल की तो पाया कि राजगढ़ के सेमली कलां के सरकारी स्कूल में करीब 157 बच्चे पढ़ते हैं लेकिन स्कूल में एक भी सरकारी शिक्षक नहीं है. पूरा स्कूल अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रहा है.
शिक्षकों की कमी
राजगढ़ के सेमली कलां के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक की मानें तो इसका असर स्कूल के रिजल्ट पर भी पड़ रहा है. वहीं हरदा के सीगोन में संचालित माध्यमिक विद्यालय का हाल भी कुछ अलग नहीं है. यहां भी शिक्षकों की कमी है और इसे दूर करने के लिए विभाग ने जिस शिक्षक को पदस्थ किया है उसे जानकारी ना होते हुए भी गणित, अंग्रेजी और साइंस पढ़ाना पड़ रहा है.
दरअसल, मध्यप्रदेश में करीब 4,500 स्कूल बिना किसी नियमित शिक्षक के चल रहे हैं. राजगढ़ जिले में 2,844 नियमित शिक्षकों की कमी है. हरदा में 1600 नियमित शिक्षकों की कमी है तो वहीं 54 स्कूल बिना शिक्षकों के चल रहे हैं. दरअसल शिक्षा के अधिकार के तहत हर 30 बच्चों पर एक शिक्षक का होना जरूरी है लेकिन मध्यप्रदेश में कई स्कूल ऐसे हैं जहां शिक्षक ही नहीं हैं और पढ़ाई का काम अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रहा है.
नागदा से कांग्रेस विधायक दिलीप सिंह गुर्जर भी उन विधायकों में से एक हैं जिनके स्टाफ में सरकारी शिक्षक स्वरूप नारायण चतुर्वेदी की नियुक्ति की गई है. आजतक से बात करते हुए विधायक जी खुद बोल रहे हैं कि ये नियुक्ति उन्होंने अपनी पसंद से करवाई है. विधायक का कहना है कि शिक्षक हमारे क्षेत्र और हमारे लोगों को बखूबी जानते हैं इसलिए इन्हें साथ में लिया है.
शिवराज सरकार में भी हुई थी नियुक्ति
आपको बता दें कि 2009 में तत्कालीन शिवराज सरकार ने आदेश निकाल कर शिक्षा के अधिकार के तहत सरकारी शिक्षकों के गैर-शैक्षणिक कार्यों के लिये नियुक्त करने पर रोक लगा दी थी. लेकिन उस दौरान भी शिक्षकों को विधायकों के निजी स्टाफ के तौर पर नियुक्त किया जाना जारी रहा.
हालांकि शिक्षकों को विधायकों के पर्सनल स्टाफ के रूप में नियुक्ति को खुद सामान्य प्रशासन विभाग मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह गलत नहीं मानते हैं. आजतक से बात करते हुए उन्होंने बताया कि शिवराज सरकार में नीति भले ही बनी थी लेकिन उसमें तब की सरकार ने अमल नहीं किया. इसलिए पुरानी परंपरा को कमलनाथ सरकार ने भी जैसे का तैसा रखा. वहीं मंत्री ने लिपिकों की भर्ती ना होना भी इसकी एक बड़ी वजह बताई है.
बीजेपी ने खड़े किए सवाल
वहीं शासकीय शिक्षकों को विधायकों के साथ अटैच करने पर बीजेपी ने कमलनाथ सरकार पर हमला बोला है. शिवराज सरकार में मंत्री रहे विश्वास सारंग ने सरकार से आदेश वापस लेने की मांग के साथ शिक्षकों को वापस स्कूल में पढ़ाने के आदेश देने को कहा है.
स्कूल चलें हम और पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया जैसे नारों के जरिए सरकारें बच्चों को स्कूल तक लाने का दम तो भरती नजर आती हैं लेकिन वो ये भूल रही हैं कि स्कूलों में जब शिक्षक ही नहीं रहेंगे तो बच्चे ना तो पढ़ पाएंगे ना इंडिया बढ़ पायेगा.
रवीश पाल सिंह