राजस्थान: जमीन के पट्टे वाले कागज पर वसुंधरा और दीनदयाल की तस्वीर से विवाद

राजस्थान में मकानों और जमीनों के दस्तावेज पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीर छापने के राजस्थान सरकार के फैसले को लेकर विरोध शुरू हो गया है.

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सरकार की ओर से जारी पट्टे का प्रारूप सरकार की ओर से जारी पट्टे का प्रारूप

शरत कुमार

  • जयपुर,
  • 13 मई 2017,
  • अपडेटेड 4:53 AM IST

राजस्थान में मकानों और जमीनों के दस्तावेज पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीर छापने के राजस्थान सरकार के फैसले को लेकर विरोध शुरू हो गया है.

दरअसल राजस्थान में अगले साल चुनाव है, जिसे ध्यान में रखकर वसुंधरा सरकार ने अवैध कॉलोनियों, कच्ची बस्ती, कोऑपरेटिव सोसाइटियों और कृषि भूमि पर रहनेवालों को वैध कागजात जारी करने का एलान किया गया है. इसके लिए हर शहर में मुख्यमंत्री शहरी जन कल्याण शिविर लगाया जा रहा है. इस शिविर में वैसे लोगों को सरकार मकान का वैध दस्तावेज बनाकर दे रही है, जो अब तक अवैध तरीके से रह रहे थे.

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हालांकि यह पहली मौका है, जब मकान और जमीन के कागजात का स्वरूप बदला गया है. अब तक कागाज पर जमीन या मकान मालिक की तस्वीर होती थी, मगर अब मकान या जमीन के मालिक के साथ-साथ एक तरफ बाईं ओर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की बड़ी तस्वीर रखी गई है और दाईं ओर बीजेपी के संस्थापकों में रहे दीनदयाल उपाध्याय की छोटी तस्वीर रखी गई है.

अचानक फोटो लगे पट्टे देने की फैसला किसने और क्यों दिया ये तो मालूम नहीं, मगर 10 मई से लगने वाले मुख्यमंत्री शहरी जन कल्याण शिविर में पट्टे फिलहाल नहीं मिल रहे हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री की तस्वीर वाले कागजात अभी नहीं आए हैं. सरकारी आदेश के अनुसार, पूर्व में पट्टे के छपवाए कागजात अमान्य हो गए हैं और उनके प्रयोग में लेने पर मनाही की गई है.

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उधर कांग्रेस ने इस फैसले का विरोध किया है. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि जमीन या मकान किसी व्यक्ति का अपना निजी होता है, ऐसे में मुख्यमंत्री अपनी और अपने नेताओं की तस्वीर कैसे लगा सकती हैं. कांग्रेस ने इसे आम जनता के साथ छल बताते हुए कहा है कि जब सरकार लोगों से नियमन और विकास कार्य का पूरा पैसा ले रही है, तो मुख्यमंत्री और बीजेपी नेताओं की तस्वीर क्यों लग रही है.

वैसे विरोध के स्वर खुद बीजेपी के अंदर से भी उठ रहे हैं. सांगानेर से पार्टी के विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने कहा है कि ये सुप्रीम कोर्ट का उल्लघंन है. सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई 2015 और 18 मार्ट 2016 के अपने फैसले में इसे गलत बताया है. ये पट्टा किसी भी वैधानिक कार्य में मान्य नहीं होगा.

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