पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार प्रदेश के युवाओं को खेलों की तरफ प्रेरित करने के लिए कई तरह के प्रयास कर रही है. हालांकि मोगा के कस्बा निहाल सिंह वाला के एक छोटे से गांव रनसीह कलां के रेसलिंग के अखाड़े की लड़कियों की हालत अलग ही तस्वीर बयां करती है. इन लड़कियों को देखकर लगता है कि सरकार के जरिए इनकी मेहनत पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
इस गांव की लड़कियां मजदूर परिवारों से होने के बाद भी पढ़ाई के साथ-साथ रेसलिंग जैसे गेम में अपना नाम कमा रही हैं. इसके साथ ही परिवार का भी हाथ भी बंटा रही हैं. वहीं घर का गुजारा चलाने के लिए यहां की लड़कियां माता-पिता के साथ मजदूरी में भी हाथ बंटाती हैं. फिलहाल धान का सीजन है और यहां की लड़कियां अपने ही गांव के खेतों में धान लगा रही हैं, जिससे इनके घर के लिए थोड़ा बहुत मेहनताना मिलता है.
बता दें कि रेसलिंग में इस गांव की लड़कियां कई मेडल जीत चुकी है. यहां तक कि इन्होंने 'खेलो इंडिया' में भी मेडल हासिल किए हैं. रेसलिंग के चलते उन्होंने आमिर की दंगल और सलमान की सुल्तान में भी भूमिका निभाई है. लेकिन सरकार की तरफ से जो डाइट मिलती है वो भी केवल कैंप में ही मिलती है. उसके अलावा नहीं मिलती. वहीं कुछ लड़कियों ने बताया कि सरकार की तरफ से उनको जो कैश रिवॉर्ड मिलने की बात की गयी थी, वो भी अभी तक नहीं मिला. रेसलिंग के लिए डायट काफी मायने रखती है. मजदूर परिवारों से होने के कारण इनको वो डाइट नहीं मिल पाती.
इस मामले में जिला खेल अधिकारी ने बताया कि उनके सहयोग से मोगा जिले में एक ही अखाड़ा चलता है. रनसीह कलां के इस अखाड़े में लड़कियां रेसलिंग करती हैं. उन्होंने बताया कि इन लड़कियों को 100 रुपये प्रति दिन डाइट दी जाती है और उनको स्पोर्ट्स विंग दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि ज्यादातर लड़कियां बहुत गरीब मजबूर परिवार से हैं और इन लड़कियों ने खेलो इंडिया में नेशनल लेवल और स्टेट लेवल पर भी मेडल जीत कर दिखाए हैं. साथ ही 6 लड़कियों को कैश रिवॉर्ड भी दिए गए हैं.
aajtak.in / सतेंदर चौहान