ईशनिंदा के बाद हिंसा पर रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट में बादल सरकार जिम्मेदार

मामले में मुख्य गवाह हिम्मत सिंह ने आयोग के समक्ष कहा था कि बादल सरकार ने सब कुछ डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को फायदा पहुंचाने के लिए करवाया था.

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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर बादल पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर बादल

विवेक पाठक

  • चंडीगढ़,
  • 27 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 9:23 PM IST

गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामलों के बाद पंजाब में हुई हिंसा की जांच के लिए बने जस्टिस रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट पंजाब विधानसभा में पेश हो गई. रिपोर्ट में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि घटना के दौरान पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल न सिर्फ जिला प्रशासन बल्कि राज्य के डीजीपी के संपर्क में भी थे. साथ ही उन्हें कोटकपुरा में हुई घटना और पुलिसिया कार्रवाई की पूरी जानकारी थी.

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बता दें कि पंजाब में करीब 2 साल पहले हुए गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामलों में पंजाब के बरगाड़ी और बहबल कलां में सिख जत्थेबंदियों और पंजाब पुलिस के बीच हुई झड़प में हुई फायरिंग में कुछ लोगों की मौत हो गई थी. जिसके बाद अकाली-बीजेपी सरकार बदलने पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इन दोनों घटनाओं की जांच करने के लिए रिटायर्ड जस्टिस रंजीत सिंह की अध्यक्षता में एक कमीशन बनाया था.

इससे पहले जस्टिस रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट सोमवार को शुरू हुए पंजाब विधानसभा सत्र के पहले दिन काफी हंगामा देखने को मिला. जब रिपोर्ट पेश होने से पहले ही विधानसभा के बाहर इसकी कॉपियां बिखेर दी गईं.

अकाली दल के नेता और पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने कहा कि जस्टिस रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट एक झूठ का पुलिंदा है, जिसे कांग्रेस की कैप्टन सरकार ने अकाली दल को बदनाम करने के लिए तैयार करवाया है. सुखबीर बादल ने कहा कि इस रिपोर्ट का विधानसभा में अकाली दल की तरफ से विरोध किया जाएगा.

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बता दें कि इस रिपोर्ट में हिम्मत सिंह नाम के शख्स का जिक्र है जिसे इस मामले में मुख्य गवाह बनाया गया है. वहीं रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट के पेश होने से पहले ही हिम्मत सिंह अपने बयान से पलट गया था.

बयान से पलटे हिम्मत सिंह का कहना था कि उसने जस्टिस रंजीत सिंह और पंजाब के जेल मंत्री नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा के दबाव में बादल परिवार और अकाली दल के खिलाफ झूठा बयान दिया और बरगाड़ी व बहबल कलां में हुई पुलिस फायरिंग की घटनाओं को उस वक्त की बादल सरकार और अकाली दल की साजिश बताया, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है.

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