किसानों के मुद्दे पर सीएम अमरिंदर का निशाना, कहा- अकालियों को झूठ बोलना बंद करना चाहिए

केंद्रीय मंत्री पद से हरसिमरत कौर बादल ने कृषि संबंधी विधेयकों का विरोध करते हुए इस्तीफा दे दिया है. अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने हरसिमरत कौर के इस्तीफे को पार्टी के जरिए किसानों के लिए एक बड़े बलिदान के रूप में पेश किया है.

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पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह (फाइल फोटो- पीटीआई) पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह (फाइल फोटो- पीटीआई)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 11:09 PM IST
  • अमरिंदर सिंह का अकाली दल पर निशाना
  • कृषि बिल को लेकर किसानों का प्रदर्शन
  • हरसिमरत कौर बादल ने दिया था इस्तीफा

किसानों से जुड़े बिल को लेकर देश में इस वक्त काफी घमासान देखने को मिल रहा है. एक तरफ जहां सड़कों पर उतरकर किसान आंदोलन कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक पार्टियां भी एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रही हैं. वहीं अब पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि अकाली दल को झूठ बोलना बंद करना चाहिए.

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पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा, 'अकालियों को झूठ बोलना बंद करना चाहिए. 2017 के पंजाब चुनाव और 2019 के चुनावों में कांग्रेस के घोषणापत्रों में स्पष्ट रूप से एपीएमसी प्रणाली को मजबूत करना प्रस्तावित था. निजी लोगों और अनुबंध प्रणाली से सरकार की खरीद को प्रतिस्थापित करना नहीं था. बीजेपी के उलट, हमने स्पष्ट रूप से एमएसपी के साथ छेड़छाड़ से इनकार किया है.'

दरअसल, शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा था कि कांग्रेस दोहरा मापदंड अपना रही है. 2017 पंजाब विधानसभा चुनाव में और 2019 लोकसभा चुनाव में उसके घोषणा पत्र में एपीएमसी अधिनियम को खत्म करने का उल्लेख किया गया था.

हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफा

वहीं केंद्रीय मंत्री पद से हरसिमरत कौर बादल ने कृषि संबंधी विधेयकों का विरोध करते हुए इस्तीफा दे दिया है. अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने हरसिमरत कौर के इस्तीफे को पार्टी के जरिए किसानों के लिए एक बड़े बलिदान के रूप में पेश किया है. अकाली दल की तरफ से मोदी सरकार में हरसिमरत कौर बादल ही एकमात्र कैबिनेट मंत्री थीं.

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बता दें कि पंजाब में कृषि और किसान ऐसे अहम मुद्दे हैं कि कोई भी राजनीतिक दल इन्हें नजरअंदाज कर अपना वजूद कायम रखने की कल्पना भी नहीं कर सकता है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में किसानों के कर्ज माफी के वादे ने कांग्रेस की सत्ता में वापसी में कराई थी, जबकि उससे पहले किसानों को मुफ्त बिजली के वादे के बदौलत ही अकाली दल सत्ता पर काबिज होती रही है.

 

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