फांसी की सजा खत्म करने पर बेअंत सिंह के रिश्तेदार बोले- पंजाब के लिए काला दिन

पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के हत्यारे और बब्बर खालसा आतंकी बलवंत सिंह रजोआना की फांसी की सजा माफ करने पर बेअंत सिंह के परिवार वालों ने गहरी नाराजगी जताई है. लुधियाना से सांसद और बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह ने कहा है कि मोदी सरकार खालिस्तान समर्थक सिख कट्टरपंथियों को सपोर्ट कर रही है.

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बेअंत सिंह के पोते और कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू (फोटो-Twitter) बेअंत सिंह के पोते और कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू (फोटो-Twitter)

मनजीत सहगल

  • चंडीगढ़,
  • 30 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 3:06 PM IST

  • 'खालिस्तानियों का समर्थन कर रही है केंद्र सरकार'
  • केंद्र का फैसला पंजाब के लिए काला दिन-कांग्रेस

पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के हत्यारे और बब्बर खालसा आतंकी बलवंत सिंह रजोआना की फांसी की सजा माफ करने पर बेअंत सिंह के परिवार वालों ने गहरी नाराजगी जताई है. लुधियाना से सांसद और बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह ने कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार खालिस्तान समर्थक सिख कट्टरपंथियों को सपोर्ट कर रही है.

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उन्होंने कहा कि जो लोग रेफरेंडम 2020 करवा रहे हैं, सरकार ऐसे लोगों को कैसे समर्थन कर सकती है. रेफरेंडम 2020 भारत से बाहर रहने वाले कट्टरपंथी सिंखों का प्रोपगैंडा है. ये लोग पंजाब को भारत से अलगकर खालिस्तान बनाने की साजिश पर काम कर रहे हैं.

रवनीत सिंह ने कहा कि ये सबसे दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है जो राजनीतिक नफा-नुकसान को सोचते हुए लिया गया है . उन्होंने कहा कि इस शख्स ने फांसी की सजा के खिलाफ खुद दया याचिका दायर करने से इनकार कर दिया था, बावजूद इसके केंद्र सरकार ने इसकी सजा माफ कर दी है.

समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का ये फैसला पंजाब के इतिहास, लोकतंत्र और न्याय के लिए काला दिन है.

बलवंत सिंह ने नहीं की थी सजा के खिलाफ अपील

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बता दें कि बलवंत सिंह रजोआना और जगतार सिंह हवारा ने 31 अगस्त 1995 को पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी थी. इस हमले में 18 लोग मारे गए थे. अक्टूबर 2010 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने जगतार सिंह हवारा की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दी थी.

जगतार सिंह ने अपनी मौत की सजा के खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट  में अपील की थी. लेकिन बलवंत सिंह रजोआना ने फैसले के खिलाफ अपील नहीं की और न ही इसकी सजा पर कोई फैसला आया.

बता दें कि इस मामले में जमकर राजनीति हुई थी. सिखों की संस्था अकाल तख्त ने रजोआना को जिंदा शहीद करार दिया था. रजोआना की तरफ से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने 2012 में फांसी की सजा के खिलाफ याचिका दायर की थी. पंजाब सरकार ने इस याचिका को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल के पास भेज दिया था. तत्कालीन राष्ट्रपति ने इस याचिका को गृह मंत्रालय के पास भेज दिया था.

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