वीएचपी के एजेंडे में अब टॉप पर नहीं रहेंगे गोरक्षा और मंदिर

1984 में दिल्ली के विज्ञान भवन में धर्म संसद के दौरान वीएचपी ने अयोध्या में राम मंदिर के साथ-साथ काशी और मथुरा का संकल्प लिया था. साढ़े तीन दशक के बाद राम मंदिर का सपना साकार होने के साथ ही वीएचपी का एजेंडा बदल गया है. वह अब मंदिर व गोरक्षा के बजाय फिलहाल समरसता के लिए समाज में काम करेगी.

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मथुरा की ईदगाह और मंदिर मथुरा की ईदगाह और मंदिर

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 02 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 3:39 PM IST
  • मंदिर निर्माण तक VHP कोई अन्य काम नहीं लेगी
  • मथुरा-काशी मामले पर तीन साल बाद विचार होगा
  • वीएचपी समाज में समरसता के उद्देश पर लौटेगी

राम मंदिर को लेकर देश भर में माहौल खड़ा करने का काम विश्व हिंदू परिषद के लोगों ने गांव-गांव में घूमकर किया था. 1984 में दिल्ली के विज्ञान भवन में धर्म संसद के दौरान वीएचपी ने अयोध्या में राम मंदिर के साथ-साथ काशी और मथुरा का संकल्प लिया था. साढ़े तीन दशक के बाद राम मंदिर का सपना साकार होने के साथ ही वीएचपी का एजेंडा बदल गया है और अब मंदिर व गोरक्षा के बजाय फिलहाल समरसता के लिए वह समाज में काम करेगी. 

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भोपाल में पिछले हफ्ते विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय समिति की बैठक हुई थी, जिसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और सरकार्यवाहक सुरेश भैयाजी जोशी भी मौजूद थे. इस बैठक में वीएचपी ने निर्णय लिया है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण तक वह कोई दूसरा काम नहीं करेगा. काशी के विश्वनाथ मंदिर और मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर के एजेंडे पर तीन साल के बाद ही वीएचपी फैसला करेगी. 

वहीं, आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने भी पिछले दिनों संकेत दे दिया कि काशी-मथुरा उनके एजेंडे में नहीं है. भागवत ने कहा था कि संघ आंदोलन से नहीं जुड़ता है. हम चरित्र निर्माण के लिए काम करते हैं. अतीत में स्थितियां अलग थीं, इसका नतीजा यह निकला कि संघ अयोध्या आंदोलन से जुड़ गया. हम एक बार फिर चरित्र निर्माण के काम में जुटेंगे. संघ प्रमुख का संदेश साफ है कि आरएसएस का काम आंदोलन चलाना नहीं है. अयोध्या का मामला अलग था, लेकिन अब उसे काशी-मथुरा के साथ न जोड़ा जाए.

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विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अलोक कुमार ने एक हिंदी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि राम मंदिर आंदोलन हमारे नियंत्रण में नहीं था. ऐसा आंदोलन बहुत शक्ति लेता है, जिसकी वजह से बाकी सब गौण हो जाता है. उन्होंने कहा कि राम मंदिर का सपना पूरा हो चुका है. ऐसे में वीएचपी पुराने और मूल उद्देश्य के तहत देश-विदेश में हिंदुओं को संगठित करने और समरसता के लिए काम करेगी. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए काम करने के अपने मूल उद्देश्य की तरफ हम लौट रहे हैं, इसी कार्यो के लिए वीएचपी की स्थापना हुई थी. 

हालांकि, अलोक कुमार ने माना है कि 1984 में दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई धर्म संसद में अयोध्या के साथ काशी और मथुरा के लिए संकल्प लिया गया था, लेकिन फिलहाल अब अयोध्या मंदिर निर्माण तक वीएचपी कोई दूसरा काम नहीं लेगी. इससे साफ जाहिर है कि वीएचपी राम मंदिर बनने तक न तो काशी-मथुरा की बात करेगी और न ही गोरक्षा अभियान को धार देगी. राम मंदिर को लेकर वीएचपी जनजागरण अभियान चलाने के मिशन पर जरूर काम कर रही है. 

वहीं, दूसरी ओर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कहा था कि राम मंदिर के सपने के साथ ही मथुरा और काशी के मंदिरों के लिए कानूनी लड़ाई शुरू करेगी. पिछले दिनों प्रयागराज में 13 अखाड़ों के प्रमुखों की बैठक में मथुरा-काशी के लिए बकायाद प्रस्ताव पास किया गया था. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा था, 'वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर को आजाद कराने का प्रस्ताव पास किया गया है. ऐसे में एक तरफ संघ और उससे जुड़े हुए संगठन काशी-मथुरा को अपने एजेंडे से दूर रख रहे हैं तो अखाड़ा परिषद इसे लेकर माहौल खड़ा कर रहा है. 
 

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