राज्यसभा की स्टैंडिंग समितियों का पुनर्गठन हो गया है. इस दौरान तीन समितियों का अध्यक्ष राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को बनाया गया है. बिजनेस एडवाइजरी कमेटी, रूल्स कमेटी और प्रिविलेज कमेटी की अध्यक्षता हरिवंश को सौंपी गई है. इसके अलावा भाजपा के लक्ष्मीकान्त वाजपेयी सबऑर्डिनेट लेजीस्लेशन कमेटी के अध्यक्ष बनाए गए हैं.
साथ ही भाजपा के सी एम रमेश हाऊस कमेटी के अध्यक्ष होंगे. इसके अलावा प्रकाश जावड़ेकर को एथिक्स कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है. कमेटी ऑन पेपर्स लेड ऑन द टेबल के अध्यक्ष कामाख्या प्रसाद तासा होंगे.
इन लोगों को मिली इन समितियों की कमान
बता दें कि एआईएडीएमके के एम तंबी दुरै कमेटी ऑन गवर्नमेंट एश्योरेंस के अध्यक्ष बनाए गए हैं. साथ ही सुजीत कुमार को कमेटी ऑन पिटीशन्स का अध्यक्ष बनाया गया है. राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश जदयू से राज्यसभा सदस्य हैं.
क्या काम करती हैं ये समितियां?
गौरतलब है कि स्टैंडिंग कमिटी विशेष कामों के लिए गठित की जाती हैं. इन समितियों का अस्तित्व तभी तक बना रहता है जब तक वो काम पूरा करके रिपोर्ट सदन को न सौंप दें. स्टैंडिंग समिति दो प्रकार की होती हैं, प्रवर समिति और संयुक्त समिति. इन दोनों समितियों का काम होता है सदन में पेश किए गए विधेयकों पर विचार करना. हालांकि ये जरूरी नहीं कि सदन के द्वारा सभी विधेयक इन समितियों के पास विचार के लिए भेजे जाएं.
सदन द्वारा भेजे गए विधेयकों पर प्रवर समिति गंभीरता से विचार करती है, उस पर अपने सुझाव दे सकती है, विधेयक से संबंधित संगठनों व विशेषज्ञों की राय ले सकती है. विधेयक पर विचार के बाद यह समिति अपने सुझाव और संशोधन सदन को सौंप देती है. अगर समिति का कोई सदस्य किसी प्रकार की असहमति दर्ज कराता है तो उसके साथ रिपोर्ट सदन भेजी जाती है.
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