प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सियासत का अपना-अलग ही स्टाइल है. नरेंद्र मोदी के केंद्रीय राजनीति में अभ्युदय के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राजनीति का स्टाइल भी बदला. नरेंद्र मोदी का ये स्टाइल केंद्र सरकार के कामकाज पर भी साफ झलकता है. अपनी ही स्टाइल में पॉलिटिक्स करने वाले नरेंद्र मोदी पर डिक्टेटरशिप के आरोप लगते रहे हैं.
नरेंद्र मोदी पर लगते रहे डिक्टेटरशिप के आरोप को लेकर रविवार को अमित शाह ने ये बताया कि ऐसे सवाल क्यों उठते हैं. नरेंद्र मोदी के गुजरात से लेकर केंद्र तक, सरकार का नेतृत्व करते हुए 20 साल पूरे होने पर संसद टीवी को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा कि जानबूझकर इस तरह के परसेप्शन बनाए जाते हैं.
उन्होंने कहा कि फोरम में जो डिस्कशन होते हैं वे बाहर नहीं आते तो लोगों को लगता है कि फैसला नरेंद्र मोदी ने लिया है. जनता को, पत्रकारों को भी नहीं मालूम है कि ये फैसला सामूहिक चिंतन से लिया गया है. अमित शाह ने कहा कि जनता ने नरेंद्र मोदी को अधिकार दिया है तो स्वाभाविक है कि फैसले वही करेंगे लेकिन सबके साथ चर्चा करके. उन्होंने कहा कि सबको बोलने का मौका देकर, सबके माइनस-प्लस पॉइंट सुनकर फैसले लिए जाते हैं.
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमारे वैचारिक विरोधी सच को तोड़-मरोड़कर लोगों के सामने कैसे रखना है, उसकी भी कोशिश करते हैं. छवि बिगाड़ने की कोशिशें भी होती हैं. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी को काम करते करीब से देखा है. ये सारे आरोप बिल्कुल बेबुनियाद हैं. अमित शाह ने कहा कि मैंने नरेंद्र मोदी जैसा श्रोता नहीं देखा. कोई भी बैठक हो, वे कम से कम बोलते हैं.
उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी बहुत धैर्य से सबको सुनते हैं और फिर उचित निर्णय लेते हैं. कई बार तो हमें भी ऐसा लगने लगता है कि क्या इतना सोच-विचार चल रहा है. वे छोटे से छोटे व्यक्ति के सुझाव को भी गुणवत्ता के आधार पर महत्व देते हैं. अमित शाह ने कहा कि ये कह देना कि वे निर्णय थोप देने वाले नेता हैं, इसमें जरा भी सच्चाई नहीं है.
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