जानिए साल-2020 के आखिरी 'मन की बात' में पीएम मोदी ने क्या बड़ी बातें कहीं?

'मन की बात' कार्यक्रम के 72वें संस्करण में प्रधानमंत्री ने कोरोना की चुनौतियों के साथ वोकल फॉर लोकल, मेन्युफैक्चरर्स और इंडस्ट्री की बात की, लेकिन उन्होंने अपने संबोधन में किसानों के मुद्दे का जिक्र नहीं किया.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 7:03 PM IST
  • 'मन की बात' का 72वां संस्करण
  • किसानों के मुद्दे पर नहीं बोले पीएम
  • कहा- न्यू ईयर रेजोल्यूशन देश के लिए लें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को आकाशवाणी के रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए देश को संबोधित किया. ये साल-2020 का आखिरी कार्यक्रम था. 'मन की बात' कार्यक्रम के 72वें संस्करण में प्रधानमंत्री ने कोरोना की चुनौतियों के साथ वोकल फॉर लोकल, मैन्युफैक्चरर्स और इंडस्ट्री की बात, लेकिन उन्होंने अपने संबोधन में किसानों के मुद्दे का जिक्र नहीं किया. आइए जानते हैं पीएम मोदी ने साल-2020 के आखिरी 'मन की बात' क्या बड़ी बातें कहीं. 

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- अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि मुझे कई देशवासियों के पत्र मिले हैं. अधिकतर पत्रों में लोगों ने देश के सामर्थ्य, देशवासियों की सामूहिक शक्ति की भरपूर प्रशंसा की है. जब जनता कर्फ्यू जैसा अभिनव प्रयोग, पूरे विश्व के लिए प्रेरणा बना, जब ताली-थाली बजाकर देश ने हमारे कोरोना वॉरियर्स का सम्मान किया था, एकजुटता दिखाई थी उसे भी कई लोगों ने याद किया है.  

- प्रधानमंत्री ने कहा कि जीरो इफेक्ट, जीरो डिफेक्ट की सोच के साथ काम करने का ये उचित समय है. मैं देश के मैन्युफैक्चरर्स और इंडस्ट्री से आग्रह करता हूं कि देश के लोगों ने मजबूत कदम उठाया है, मजबूत कदम आगे बढ़ाया है, वोकल फॉर लोकल.. ये आज घर-घर में गूंज रहा है. ऐसे में अब यह सुनिश्चित करने का समय है कि हमारे उत्पाद विश्वस्तरीय हों. हमें वोकल फॉर लोकल की भावना को बनाए रखना है, बचाए रखना है, और बढ़ाते ही रहना है. आप हर साल न्यू ईयर रेजोल्यूशन लेते हैं, इस बार एक रेजोल्यूशन अपने देश के लिए भी जरूर लेना है.

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- पीएम ने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत में शेरों की आबादी बढ़ी है, बाघों की संख्या में भी वृद्धि हुई है. साथ ही, भारतीय वनक्षेत्र में भी इजाफा हुआ है. इसकी वजह ये है कि सरकार ही नहीं बल्कि बहुत से लोग, civil society, कई संस्थाएं भी हमारे पेड़-पौधों और वन्यजीवों के संरक्षण में जुटी हुई हैं. भारत में तेंदुओं की संख्या में 2014 से 2018 के बीच, 60 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है.

- पीएम ने कहा, ऐसा कहते हैं कि अकबर के दरबार में एक प्रमुख सदस्य अबुल फजल थे. उन्होंने एक बार कश्मीर की यात्रा के बाद कहा था कि कश्मीर में एक ऐसा नजारा है जिसे देखकर चिड़चिड़े और गुस्सैल लोग भी खुशी से झूम उठेंगे. दरअसल वो कश्मीर में केसर के खेतों का उल्लेख कर रहे थे. केसर सदियों से कश्मीर से जुड़ा है. कश्मीरी केसर मुख्य रूप से पुलवामा, बडगाम और किश्तवाड़ जैसी जगहों पर उगाया जाता है. इसी साल मई में कश्मीरी केसर को जीआई टैग दिया गया है. इसके जरिए हम कश्मीरी केसर को एक ग्लोबली पॉपुलर ब्रांड बनाना चाहते हैं. आपको यह जानकर खुशी होगी कि कश्मीरी केसर को जीआई टैग का सर्टिफिकेट मिलने के बाद दुबई के एक सुपर मार्केट में इसे लॉन्च किया गया. अगली बार जब आप केसर को खरीदने का मन बनाएं तो कश्मीर का ही केसर खरीदने की सोचें.

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- पीएम ने कहा कि गीता हमें हमारे जीवन के हर संदर्भ में प्रेरणा देती है. गीता की विशिष्टता ये भी है कि ये जानने की जिज्ञासा से शुरू होती है जब तक जिज्ञासा है, तब तक जीवन है. गीता की ही तरह, हमारी संस्कृति में जितना भी ज्ञान है, सब, जिज्ञासा से ही शुरू होता है. वेदांत का तो पहला मंत्र ही है – ‘अथातो ब्रह्म जिज्ञासा’ अर्थात, आओ हम ब्रह्म की जिज्ञासा करें. गीता, हमें हमारे जीवन के हर संदर्भ में प्रेरणा देती है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, गीता इतना अद्भुत ग्रंथ क्यों है ? वो इसलिए क्योंकि ये स्वयं भगवान श्रीकृष्ण की ही वाणी है. लेकिन गीता की विशिष्टता ये भी है कि ये जानने की जिज्ञासा से शुरू होती है. 

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